9 साल पहले एक ही परिवार के सात लोगों की हत्या से दहल गया था गाजियाबाद, अब कोर्ट ने सुनाई फांसी की सजा

गाजियाबाद। नई बस्ती की अनाज मंडी में एक ही परिवार की तीन पीढ़ियों के सात लोगों की हत्या करने के दोषी राहुल वर्मा (30) को सजा-ए-मौत की सजा सुनाई गई। इस हत्‍याकांड से गाजियाबाद दहल गया था।

राहुल वर्मा को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश-12 निर्मल चंद्र सेमवाल की अदालत ने सोमवार को फांसी की सजा सुनाई। अदालत ने उस पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। नौ साल से ज्यादा समय चली सुनवाई के बाद अदालत ने इस मामले में फैसला सुनाया है। मृत कारोबारी के दामाद सचिन मित्तल, जिन्होंने इस मुकदमे में पूरी पैरवी की और अंजाम तक पहुंचाया।

फांसी की सजा सुनाते हुए अदालत ने विशेष टिप्पणी करते हुए कहा कि अभियुक्त के द्वारा एक ही परिवार के सात लोग, जिनमें तीन बच्चे 10 साल से 14 साल तक के थे, उनकी चाकू से वार कर गर्दन काटकर हत्या की गई। बर्बरतापूर्ण तरीके से हत्या करते समय अभियुक्त को कोई दया नहीं आई, जिससे अभियुक्त किसी भी रूप में कम सजा का हकदार नहीं है। सभी परिस्थितियों को देखते हुए अभियुक्त को सजा सुनाई जाती है।

जज निर्मल चंद्र सेमवाल ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अभियुक्त के पक्ष में कोई हल्की परिस्थिति नहीं बनती है। सभी परिस्थितियों को देखते हुए अभियुक्त के विरुद्ध उत्तेजक परिस्थितियां काफी हैं। उसके पक्ष में हल्की परिस्थिति नगण्य है। उत्तेजक परिस्थिति का पलड़ा हल्की परिस्थिति से काफी भारी है। ऐसे कृत्य से समाज में भय तथा आक्रोश उत्पन्न होगा। लोगों को समाज में शांतिपूर्ण तरीके से जीवनयापन करना दूभर हो जाएगा। यह गुनाह विरल से विरलतम श्रेणी का है। इसके लिए मृत्युदंड दिया जाता है।

राहुल वर्मा को चोरी के शक में नौकरी से निकाला था
राहुल घंटाघर नई बस्ती मोहल्ले में रहने वाले सतीश चंद गोयल के यहां ड्राइवर की नौकरी करता था। घटना से करीब 15 दिन पहले सतीश चंद गोयल के घर में साढ़े चार लाख रुपये की चोरी हुई थी। चोरी के शक में उन्होंने ड्राइवर राहुल वर्मा को नौकरी से हटा दिया था, जिसके बाद 15 दिन वह गायब रहा था। घटना वाले दिन से एक-दो दिन बाद सतीश चंद गोयल का किडनी ट्रांसप्लांट का आपरेशन होना था। आपरेशन के लिए कारोबारी के घर में मोटी रकम होने की जानकारी राहुल वर्मा को पहले से थी। काम से हटाए जाने के चलते वह कारोबारी व उनके परिवार से खफा था। इसी कारण उसने वारदात को अंजाम दिया।

वकील राजेश चंद्र शर्मा के मुताबिक, 21 मई 2013 की रात दोषी राहुल वर्मा छत के रास्ते कारोबारी के घर में घुसा और लूटपाट की घटना को अंजाम दिया। इसके बाद सोते हुए एक-एक करके सभी की धारदार चाकू से गला रेत कर हत्‍या कर दी थी। मृतकों में कारोबारी सतीश चंद गोयल, पत्नी मंजू गोयल, बेटा सचिन गोयल, पुत्रवधू रेखा, पोता अमन, हनी व पोती मेघा शामिल थे।

सिगरेट का टुकरा बना अहम कड़ी
गोयल परिवार हत्याकांड की सुनवाई 9 साल तक चली। हत्यारे को फांसी की सजा दिलाने में सिगरेट के एक टुकड़े ने अहम भूमिका निभाई। दरअसल, हत्यारे ने घटना को अंजाम देने के बाद घर की छत पर सिगरेट जलाई थी। हत्यारे राहुल को दोषी करार देने और फांसी की सजा में छत पर सिगरेट पीकर फेंका गया टुकड़ा अहम कड़ी साबित हुआ। पुलिस ने बरामद किए गए सिगरेट के टुकड़े और हत्यारे की लार की जांच कराई तो दोनों में मिलान हो गया। यह तथ्य हत्यारे को सजा दिलाने में काफी अहम रहा। गोयल परिवार की हत्या के क्रम में हत्यारे के हाथ के पंजे के निशान घर की दीवारों पर बिले। गमछे व शर्ट पर लगे खून के धब्बे से मृतक मंजू गोयल व उनके बेटे सचिन गोयल के खून का मिलान हुआ। इन सारे तथ्यों ने राहुल की फांसी तय कर दी।

राहुल का दोस्त बना सरकारी गवाह
राहुल वर्मा का दोस्त प्रशांत श्रीवास्तव खुद इस केस में सरकारी गवाह बना। सामूहिक नरसंहार से पहले राहुल ने प्रशांत से कहा था कि 21 मई 2013 को वह लूट की घटना को अंजाम देगा, जिसमें 25 से 30 लाख रुपए मिल सकते हैं। लेकिन लूट की घटना के दिन प्रशांत ने राहुल का साथ नहीं दिया। वह प्रयागराज जाने की बात कहकर उसके साथ नहीं गया। प्रशांत के बयान से राहुल को सजा पक्की हो गई। राहुल वर्मा ने सारे कत्ल एक ही चाकू से किए। सातों के शरीर पर घाव का साइज एक जैसा था। राहुल ने चाकू डासना गेट बाजार में एक दुकान से 80 रुपए में खरीदा गया था। पुलिस ने चाकू बेचने वाले के भी बयान दर्ज किया।

अगले ही दिन हो गई थी गिरफ्तारी
हत्याकांड के अगले ही दिन यानी 22 मई 2013 को राहुल को गिरफ्तार कर लिया गया। दरअसल, सतीश चंद गोयल के दामाद सचिन मित्तल ने पूर्व ड्राइवर पर शक जताया। उनके शक के आधार पर केस दर्ज किया गया। राहुल पर परिवार पहले 4 लाख रुपये की चोरी का शक जता चुका था।। पुलिस ने शक के आधार पर केस दर्ज कर जब राहुल से संपर्क करना शुरू किया तो उसका मोबाइल ऑफ पाया गया। पुलिस ने इसके बाद खोजबीन शुरू की और उसे 22 मई को गिरफ्तार कर लिया गया। उसके पास से सतीश गोयल के घर से लूटे गए गहने और नकदी बरामद हुई। उसके बैग में मिले कपड़ों पर खून लगा मिला। उसकी निशानदेही पर धोबीघाट के पास से पेड़ के नीचे छिपाई गई वह छुरी मिली जिससे उसने हत्याकांड किया था।

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