दिल्ली। दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने लॉकडाउन नियमों का उल्लंघन करने वाले 64 प्रवासियों के खिलाफ दर्ज 15 मामलों को वापस लेने की मंजूरी दे दी है। सक्सेना ने दिल्ली पुलिस को 100 से अधिक प्रवासियों से जुड़े ऐसे ही दूसरे 10 मामलों की क्लोजर रिपोर्ट अदालत में दाखिल करने के निर्देश भी दिए हैं।
उपराज्यपाल का कहना है कि इनमें मानवीय और तर्कसंगत नजरिया अपनाना जरूरी है। गरीब प्रवासियों की तरफ से महामारी के दौरान नियमों का उल्लंघन छोटी भूल हो सकती है, जो अत्यधिक संकट की स्थिति में की गई है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय आरोपियों को अनावश्यक उत्पीड़न और इधर-उधर भटकने से बचाएगा।
उपराज्यपाल ने महामारी के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में प्रवासियों की असहाय स्थिति को ध्यान में रखते हुए व सर्वोच्च न्यायालय के इस साल 9 जून के आदेश के अनुरूप यह निर्णय लिया है। महामारी के दौरान लाकडाउन के कारण कई प्रवासियों की आजिविका का साधन खत्म हो चुका था। किराया देने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे और यहां तक कि उनके पास दैनिक गुजारे के लिए भी कुछ नहीं था।
उल्लेखनीय है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा (51) के तहत 43 ऐसे दर्ज मामले हैं। इनमें प्रवासियों मजदूरों पर सड़क पर निकल कर लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करने का आरोप है। इन 43 मामलों में से 18 मामलों का निपटारा संबंधित न्यायालयों ने पहले ही कर दिया है।
ऐसे 15 मामले जहां न्यायालयों में आरोप पत्र दायर कर दिए गए हैं, उपराज्यपाल ने अभियोजन निदेशालय की तरफ से सीआरपीसी की धारा (321) के तहत अभियोजन वापस लेने के निर्देश दिए हैं। बाकी 10 मामलों में से सात में आरोप पत्र दाखिल किया जाना है और तीन में अभियुक्तों की पहचान नहीं हो सकी है। इन मामलों में भी उपराज्यपाल ने दिल्ली पुलिस को क्लोजर रिपोर्ट फाइल करने के आदेश दिए हैं।
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