नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 75 हफ्तों में 75 ‘वंदे भारत’ ट्रेनें चलाने के लक्ष्य तक पहुंचने की कोशिश में रेलवे बोर्ड 15 अगस्त से पहले नई ‘वंदे भारत’ ट्रेन का ट्रायल शुरू कर देगा। इसके पश्चात नवंबर महीने में रेल यात्री इस ट्रेन में सफर का लुफ्त उठा सकेंगे। तीसरी ‘वंदे भारत’ ट्रेन दक्षिण भारत में चलाई जाएगी।
सेमी हाई स्पीड (160-200 किलोमीटर प्रतिघंटा) ‘वंदे भारत’ का ट्रायल अगस्त के दूसरे हफ्ते में शुरू किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना कर सकते हैं। रेलवे ने बताया कि नई ‘वंदे भारत’ ट्रेन का परीक्षण राजस्थान के कोटा से मध्य प्रदेश के नागदा खंड पर किया जाएगा। ट्रायल के दौरान ट्रेन की रफ्तार 100 से 180 किलोमीटर प्रतिघंटा रहेगी। तीसरी नई ‘वंदे भारत’ ट्रेन को तेलंगाना में चलाया जा सकता है। इससे चुनावी राज्य में केंद्र सरकार इसका राजनीति फायदा भी उठा सकेगी।
रेलवे का दावा है कि मोदी की घोषणा के अनुरूप 15 अगस्त 2023 तक 75 ‘वंदे भारत’ ट्रेनें पटरियों पर दौड़ने लगेंगी। क्योंकि प्रोटोटाइप ‘वंदे भारत’ ट्रेन की सफलता के बाद शेष ट्रेनों का ट्रायल करने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने बताया कि रेल डिब्बा कारखाना इंटीग्रल कोच फैक्टरी (आईसीएफ) को ‘वंदे भारत’ के 75 रैक बनाने का लक्ष्य दिया गया है।
उन्होंने बताया कि मौजूदा ‘वंदे भारत’ की अपेक्षा नई ‘वंदे भारत’ के कोच अधिक सुविधाजनक है। आईसीएफ में हर माह ‘वंदे भारत’ के छह से सात रैक (ट्रेनें) बनाने की क्षमता है। इसे बढ़ा कर 10 किया जा रहा है। इसके अलावा कपूरथला की रेल कोच फैक्टरी और रायबरेली की मॉडर्न कोच फैक्टरी में भी ‘वंदे भारत’ का निर्माण किया जाएगा।
संरक्षा और सहूलियत में सुधार
नई ‘वंदे भारत’ ट्रेन में संरक्षा एवं यात्रियों की सहूलियत में सुधार किया गया है। इसे रेलवे की नई कवच संरक्षा प्रणाली से लैस बनाया गया है। यानी एक ही ट्रैक पर दो ट्रेनों के आमने-सामने आने पर टक्कर नहीं होगी। लोको पायलट प्रत्येक कोच में सीसीटीवी के माध्यम से देख-सुन सकता है। कोचों में आग लगने से बचाव के लिए अतिरिक्त उपाय किए गए हैं। शौचालय, यात्री खंड और इलेक्ट्रिक पैनल में फायर सेंसर लगाए गए हैं।
इलेक्ट्रिक पैनल में आग लगने की दशा में स्वचालित गैस आधारित अग्निशामक यंत्र काम करने लगेगा और आग को तत्काल बुझा दिया जाएगा। आपातकालीन द्वार एवं आपात स्थिति में लोको पायलट से बात करने के लिए दो से बढ़ा कर चार प्रणालियां लगाई गईं हैं। यात्रियों के बैठने में अधिक आरामदेह एवं वैसी ही रिक्लाइनिंग सीटें लगाई गईं हैं, जैसी शताब्दी या गतिमान एक्सप्रेस में लगी हैं।
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