श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद का अपरहण करने वालों में अलगाववादी नेता यासीन मलिक भी शामिल था। रुबैया सईद ने शुक्रवार को सीबीआई की विशेष अदालत में गवाही के दौरान अपने अपहरणकर्ताओं की पहचान की।
रुबैया सईद जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बहन हैं। सईद का 8 दिसंबर 1989 में अपहरण किया गया था। 13 दिसंबर को पांच आतंकवादियों को छोड़े जाने के बाद रुबैया सईद की रिहाई हुई थी। सीबीआई ने 1990 की शुरुआत में अपहरण के इस मामले की जांच अपने हाथ में ली थी। यह पहली बार है जब रुबैया सईद को मामले के सिलसिले में अदालत में पेश होने के लिए कहा गया था। रुबैया सईद तमिलनाडु में रहती है। सईद को अभियोजन पक्ष की ओर से बतौर गवाह के रूप में पेश किया गया था।
घटना के करीब 31 साल से अधिक समय बाद यासीन मलिक और नौ अन्य के खिलाफ अदालत ने पिछले साल जनवरी में आरोप तय किए थे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अब इस मामले की सुनवाई की अगली तारीख 23 अगस्त तय की गई है। यासीन मलिक को हाल ही में टेरर फंडिग मामले में कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है।
दो मामलों में उम्रकैद की सजा, 5 में 10 साल की कैद
यासीन मलिक को दो मामलों में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है और 5 मामलों में 10 साल की सजा दी गई है। सभी सजाएं एक साथ चलेंगी और अधिकतम सजा उम्रकैद की है। इस तरह ताउम्र यासीन मलिक को जेल काटनी होगी। यासीन मलिक पर आतंकी गतिविधियों में शामिल होने, टेरर फंडिंग करने, आतंकी साजिश रचने और भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने जैसे आरोपों में कई मामले दर्ज हैं।
फांसी की सजा की हुई थी मांग
एनआईए ने टेरर फंडिंग में दोषी ठहराए गए यासीन मलिक को फांसी की सजा दिए जाने की मांग की थी। एनआईए ने कहा कि यासीन मलिक ने जिस के जुर्मों को अंजाम दिया था, उसे देखते हुए मलिक को फांसी से कम की सजा नहीं दी जानी चाहिए। यासीन मलिक ने केस की सुनवाई के दौरान खुद भी अपना गुनाह कबूल किया था और वकील भी वापस कर दिया था।
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