भारतीय क्रिकेट टीम में पिछले काफी समय से उथल-पुथल मची हुई है। विराट कोहली के कप्तानी छोड़ने के बाद से टीम इंडिया में खिलाड़ियों के साथ-साथ कप्तानी में भी लगातार बदलाव देखने को मिल रहे हैं। भारतीय टीम पिछले सात महीनों में सात कप्तान बना चुकी है। नेतृत्व में लगातार बदलाव की वजह से टीम संयोजन में भी काफी दिक्कतें देखने को मिल रही है, जिसे लेकर बीसीसीआई और चयन समिति पर लगातार सवाल भी उठ रहे हैं।
बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली खुद भी इस निरंतर बदलाव से खुश नहीं हैं लेकिन उन्होंने इसका बचाव भी किया। गांगुली जो हमेशा निरंतरता में भरोसा रखते हैं, उनका कहना है कि सात महीनों के अंदर सात कप्तान होना ‘आदर्श नहीं’ है लेकिन कुछ अपरिहार्य कारणों से चीजें इस तरह से हुई कि ऐसा करना पड़ा।
गांगुली ने शुक्रवार को अपना 50वां जन्मदिन लंदन में अपने दोस्तों और परिवार के साथ मनाया। इस दौरान उन्होंने समाचार एजेंसी पीटीआई से साक्षात्कार में कप्तानी में बदलाव के सवाल पर जवाब दिया। उनसे पूछा गया कि क्या विराट कोहली, रोहित शर्मा, केएल राहुल, ऋषभ पंत, हार्दिक पांड्या, जसप्रीत बुमराह और अब वनडे में शिखर धवन, कप्तानी में इतने बदलाव से निरंतरता प्रभावित हुई।
इसके जवाब में गांगुली ने कहा कि मैं पूरी तरह से सहमत हूं कि इतने कम समय में सात अलग कप्तान रखना आदर्श नहीं है लेकिन ऐसा इसलिये हुआ क्याोंकि कुछ अपरिहार्य परिस्थितियां पैदा हुई। जैसे रोहित सफेद गेंद क्रिकेट में दक्षिण अफ्रीका में अगुआई करने वाले थे लेकिन दौरे से पहले वह चोटिल हो गए। इसलिये राहुल ने वनडे में कप्तानी की और फिर हाल में दक्षिण अफ्रीका की घरेलू श्रृंखला में राहुल श्रृंखला शुरू होने से एक दिन पहले चोटिल हो गया।
इंग्लैंड में रोहित अभ्यास मैच खेल रहा था जब उसे कोविड-19 संक्रमण का पता चला। इन हालात के लिये कोई जिम्मेदार नहीं है। कैलेंडर इस तरह का है कि हमें खिलाड़ियों को ब्रेक देना होता है और फिर किसी को चोट भी लग जाती है तो हमें कार्यभार प्रबंधन को भी देखना होता है। आपको मुख्य कोच राहुल द्रविड़ की परिस्थिति को भी समझना होगा कि प्रत्येक श्रृंखला में अपरिहार्य परिस्थितियों के कारण हमें नया कप्तान रखना पड़ा।
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