मुजफ्फरपुर। बिहार के मुजफ्फरपुर में एक भी छात्र को नहीं पढ़ा पाने का हवाला देकर 24 लाख रुपए की अपनी सैलरी लौटाकर सुर्खियों में आए प्रोफेसर ललन कुमार को लेकर अब एक बड़ा खुलासा हुआ है। ललन कुमार ने जिस अकाउंट नंबर का चेक उन्होंने यूनिवर्सिटी को दिया था, उसमें सिर्फ 970.95 रुपये ही हैं। जिसके बाद प्रोफेसर ललन कुमार विवादों में घिरते नजर आ रहे हैं। यही नहीं ललन कुमार ने अपने इस कदम को लेकर माफी मांगी है।
जानकारी के अनुसार, ललन कुमार ने जिस अकाउंट की चैक यूनिवर्सिटी को भेजी है। उस दिन उनके खाते में 968.95 रुपये थे। छह जुलाई को उनके अकाउंट में दो रुपये और क्रेडिट हुए थे। इसके पूर्व 27 जून को खाते से 1.95 लाख रुपये का लेन-देन हुआ है। जिसके बाद प्रोफेसर ललन कुमार ने कहा कि उन्होंने भावनाओं में बहकर यह कदम उठा लिया था, लेकिन अब ऐसा लग रहा हैं कि यह गलत फैसला था। ललन सिंह ने नीतिश्वर कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ मनोज कुमार को फॉरवर्ड करते हुए यूनिवर्सिटी के कुलसचिव डॉ आरके ठाकुर को पत्र लिखा है।
माफीनामे में प्रोफेसर ललन ने लिखा है कि 6 बार प्रयास के बावजूद ट्रांसफर नहीं होने पर उन्होंने भावावेश में फैसला ले लिया था। ललन ने कहा कि उनकी मंशा कॉलेज की छवि को खराब करने की नहीं थी। कॉलेज के अन्य साथियों से बातचीत के बाद मुझे अहसास हुआ कि ये मैंने गलत कर दिया हैं। प्रोफेसर ललन ने वादा किया है कि वह भविष्य में ऐसा नहीं करेंगे। वहीं रजिस्ट्रार ने प्राचार्य मांगी रिपोर्ट सहायक प्रोफेसर ललन कुमार मामले में बिहार विवि के रजिस्ट्रार डॉ आरके ठाकुर ने कॉलेज के प्राचार्य डॉ मनोज कुमार से रिपोर्ट मांगी है।
वहीं इस मामले में एक और एंगल सामने आ रहा है कि, ललन कुमार ने यह पूरा घटनाक्रम अपने ट्रांसफर को लेकर किया था। प्रोफेसर ललन कुमार ने बताया कि जब उनकी जॉइनिंग हुई थी तभी से वो इसके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि मेरी रैंक अच्छी थी, इसके बावजूद उन्हें नीतीश्वर सिंह कॉलेज में भेज दिया गया, जबकि उससे कम रैंक वालों को पीजी के लिए चयन किया गया। प्रोफेसर ललन कहा कहना है कि, उन्हें ऐसे कॉलेज में भेजा जाए जहां पीजी की पढ़ाई होती हो। कई बार ट्रांसफर की कोशिश की, लेकिन हर बार उनका नाम कट गया।
क्या था मामला?
डॉ. ललन कुमार मुजफ्फरपुर के नीतीश्वर कॉलेज में सहायक प्रोफेसर हैं। उन्होंने बताया कि कॉलेज में जब से उनकी नियुक्ति हुई है, उन्होंने यहां पर पढ़ाई का माहौल यहां पर नहीं देखा है। कहने को तो यहां पर यहां पर हिंदी में 1100 छात्रों का नामांकन है लेकिन इन छात्रों की उपस्थिति शून्य है। ऐसे में वह अपने शैक्षणिक दायित्व का निर्वहन सही से नहीं कर पा रहे हैं।उन्होंने बताया कि कोरोना काल में ऑनलाइन क्लास की शुरुआत की गई थी लेकिन छात्र ऑनलाइन क्लास में भी उपस्थित नहीं रहे। इसकी जानकारी उन्होंने विवि प्रशासन और कॉलेज प्रशासन को भी दी थी। डॉ. ललन की नियुक्त 2019 में हुई थी। उन्होंने विवि प्रशासन से आग्रह किया है कि उनका तबादला उस कॉलेज में किया जाए जहां शैक्षणिक कार्य करने का मौका मिले।
प्रोफेसर डॉ ललन कुमार ने एक भी छात्र को नहीं पढ़ा पाने का हवाला देकर वेतन के 23.82 लाख रुपये विश्वविद्यालय को लौटा देने की पेशकश की. उन्होंने चेक को कुलसचिव डॉ. आरके ठाकुर को चेक सौंपा था। यह बात जब सामने आई तो लोग हैरान रह गए। प्रोफेसर की ईमानदारी की खूब चर्चा हुई।
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