लखनऊ। बूथ में घुसकर मतदान प्रभावित करने और पोलिंग एजेंट से दुर्व्यवहार के संबंध में तत्कालीन सपा प्रत्याशी राज बब्बर के खिलाफ गुरुवार को लखनऊ एमपी/एमएलए कोर्ट दो वर्ष की सजा सुनाई है। कोर्ट ने 8500 रुपये का जुर्माना भी लगाया है। फिलहाल राज बब्बर कांग्रेस के नेता हैं। वह इस फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील करेंगे।
कांग्रेस नेता राज बब्बर को जिस केस में एमपी/एमएलए कोर्ट ने दो वर्ष की सजा सुनाई है वह मामला वर्ष 1996 का है। मतदान अधिकारी श्रीकृष्ण सिंह राणा ने दो मई, 1996 को थाना वजीरगंज में राजबब्बर प्रत्याशी समाजवादी पार्टी और अरविन्द यादव समेत कई लोगों के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। इसमें कहा गया है कि राज बब्बर समर्थकों के साथ मतदान स्थल में घुस आए और न सिर्फ मतदान प्रक्रिया प्रभावित की बल्कि सरकारी काम में बाधा पहुंचाई और ड्यूटी पर मौजूद लोगों से दुर्व्यवहार और मारपीट किया। इस दौरान श्रीकृष्ण सिंह राणा के अलावा पोलिंग एजेंट शिव सिंह को चोटें आई थी।
केस की विवेचना के बाद 23 मार्च 1996 को राजबब्बर और अरविंद यादव के विरुद्ध धारा 143, 332, 353, 323, 504, 188 आईपीसी एवं लोक प्रतिनिधित्व निवारण अधिनियम के अलावा 7 क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट एक्ट के तहत अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया गया था। इसी मामले को लेकर लखनऊ एमपी एमएलए कोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुनाया। हालांकि इकसे बाद कोर्ट ने उन्हें जमानत भी दे दी है।
बता दें कि राज बब्बर ने 80 के दशक के आखिर में फिल्मी दुनिया के साथ सियासत का सफर शुरू किया था। 1989 में उन्होंने वीपी सिंह के नेतृत्व में जनता दल का दामन थामा था। इसके बाद वह समाजवादी पार्टी में गए और तीन बार लोकसभा सांसद रहे। 2004 में वह लोकसभा सांसद बने थे।
2006 में मुलायम सिंह यादव के साथ उनके रिश्ते खराब हो गए। समाजवादी पार्टी से उनकी विदाई हुई। 2008 में राजबब्बर कांग्रेस में शामिल हुए और 2009 में फिरोजाबाद से उन्होंने अखिलेश यादव को सबसे बड़ा झटका दिया। अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को उन्होंने शिकस्त दी। 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद राज बब्बर ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था।
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