नई दिल्ली। भारत सरकार ने जैमर, नेटवर्क बूस्टर और रिपीटर्स के निजी इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। सरकार इसके उपयोग के लिए विशेष रूप से अनुमति देती है लेकिन इन उपकरणों की खुली ऑनलाइन बिक्री से चिंतित, विभाग ने सभी ई-कॉमर्स कंपनियों को अपने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर वायरलेस जैमर की बिक्री के लिए चेतावनी दे दी है।
दूरसंचार विभाग और संचार मंत्रालय ने 1 जुलाई,2022 को वायरलेस जैमर और बूस्टर/रिपीटर्स के निजी इस्तेमाल को लेकर एक एडवाइजरी जारी की है। एडवाइजरी में कहा गया है कि भारत सरकार की इजाजत के बिना जैमर,जीपीएस ब्लॉकर या अन्य सिग्नल जैमिंग डिवाइस का इस्तेमाल अवैध है। एडवाइजरी में यह भी कहा गया है कि भारत में सिग्नल जैमिंग उपकरणों का विज्ञापन, बिक्री, वितरण, आयात या किसी साइट पर बिक्री के लिए लिस्ट करना गैरकानूनी है।
सिग्नल बूस्टर/रिपीटर के संबध में यह कहा गया है कि लाइसेंस प्राप्त दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के अलावा किसी भी व्यक्ति/संस्था द्वारा मोबाइल सिग्नल रिपीटर/बूस्टर को रखना, बिक्री करना या उपयोग करना गैरकानूनी है।
मोबाइल सिग्नल बूस्टर / रिपीटर एक प्रकार का एम्पलीफायर है, जो स्पष्ट रूप से मोबाइल फोन सिग्नल रिसेप्शन को बेहतर बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। हालांकि,मोबाइल फोन बूस्टर का अनधिकृत उपयोग (unauthorised use) विपरीत रूप से हस्तक्षेप कर सार्वजनिक दूरसंचार सेवाओं की गुणवत्ता और कवरेज को खतरे में डालकर बाधित कर सकता है।
DOT के सलाहकार ने कहा कि ऐसे में यह न केवल मोबाइल फोन उपयोगकर्ताओं के लिए असुविधा का कारण बनता है बल्कि मोबाइल फोन से आपातकालीन कॉल (emergency call) सेवाओं तक पहुंच को भी बाधित कर सकती है। जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए जोखिम पैदा हो सकता है।
सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। सीओएआई ने कहा है, ‘हम सिग्नल रिपीटर्स/बूस्टर की स्थापना से उत्पन्न चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए दूरसंचार विभाग की सलाह का स्वागत करते हैं। लोग इस बात से अनजान हैं कि वायरलेस टेलीग्राफी एक्ट, 1933 और इंडिया टेलीग्राफ एक्ट, 1885 के तहत मोबाइल सिग्नल बूस्टर (एमएसबी) खरीदना, बेचना, इंस्टॉल करना और रखना एक अवैध और दंडनीय अपराध है। यह दूरसंचार सेवाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है और हमें खुशी है कि भारत सरकार ने देश भर के नागरिकों को एक निर्दोष नेटवर्क और दूरसंचार अनुभव प्रदान करने में इसके महत्व को पहचाना है।’
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