दिल्ली। दिल्ली राज्य उपभोक्ता आयोग ने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि अवैध रसोई गैस सिलेंडर रखने पर होने वाले हादसे के लिए गैस एजेंसी जिम्मेदार नहीं होगी। आयोग ने गैस सिलेंडर ब्लास्ट के मामले में पीड़ितों को मुआवजा देने का आदेश देने से इनकार करते हुए यह फैसला दिया है।
आयोग में पेश मामले के अनुसार, पालम विहार में 27 अप्रैल 2009 को सिलेंडर फटने से रविंदर सिंह नाम के शख्स की मौत हो गई थी। परिवार ने गैस एजेंसी और कंपनी से साढ़े सात लाख रुपये का मुआवजा मांगा था। आयोग के अध्यक्ष जस्टिस संगीता धींगरा सहगल और सदस्य राजन शर्मा की बेंच ने कहा है कि तथ्यों से साफ है कि एजेंसी ने उपभोक्ता को कनेक्शन देते वक्त सिर्फ एक ही सिलेंडर दिया था लेकिन उपभोक्ता ने अवैध रूप से एक अन्य सिलेंडर रखा था। बेंच ने कहा है कि ऐसे में गैस एजेंसी को हादसे के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।
बेंच ने कहा है कि 27 अप्रैल 2009 को अपीलकर्ता के घर पर खाली सिलेंडर बदलते वक्त हादसा हुआ और अपीलकर्ता के जवाब से साफ है कि क्षतिग्रस्त सिलेंडर अब भी उसके पास है जबकि दूसरे खाली सिलेंडर को नए सिलेंडर से गैस एजेंसी ने बदल दिया। ऐसे में गैस एजेंसी का यह दावा सही है कि उपभोक्ता ने अवैध रूप से अतिरिक्त सिलेंडर खरीदकर रखा था। बेंच ने कहा है कि उपभोक्ता ने अवैध सिलेंडर से हादसा हुआ, ऐसे में गैस एजेंसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है और ना ही यह सेवा में कमी का मामला है। यह टिप्पणी करते हुए आयोग ने सिलेंडर ब्लास्ट में एक व्यक्ति की मौत के बदले मुआवजे की मांग को लेकर दाखिल अपील खारिज कर दी।
रसोई साझा करने वाले सभी उपभोक्ता
आयोग ने एजेंसी और गैस कंपनी की उस दलील को सिरे से ठुकरा दिया, जिसमें कहा गया था कि हादसे में मरने वाले व्यक्ति के परिजन उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आते हैं, क्योंकि कनेक्शन उनके नाम पर नहीं था। आयोग ने कहा कि भले ही गैस का कनेक्शन अपीलकर्ता संख्या चार के नाम है, लेकिन सभी साझा रसोई का इस्तेमाल कर रहे थे, इसलिए सभी उपभोक्ता माने जाएंगे। हालांकि, अवैध सिलेंडर से हादसा होने के चलते मुआवजा नहीं मिला।
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