नई दिल्ली। सेना को पहले से ज्यादा आधुनिक रूप और युवाओं को मौका देने के लिए सरकार ने अपनी महात्वाकांक्षी ‘अग्निपथ’ योजना लॉन्च की है। इस योजना के तहत देश के युवाओं को थल सेना, वायु और नौसेना में चार साल तक सेवा देने का सुनहरा अवसर प्राप्त होगा। चार साल तक तीनों सेनाओं में सेवा देने वाले ये जवान ‘अग्निवीर’ कहलाएंगे। हालाँकि केंद्र सरकार की सेना में भर्ती की ‘अग्निपथ’ योजना के खिलाफ देशभर में आक्रोश देखा जा रहा है। ऐसे में सरकार युवाओं को स्कीम के फायदे समझाने की कोशिश कर रही है।
अग्निपथ स्कीम को लेकर बिहार से हरियाणा तक आंदोलन हिंसक होता जा रहा है। कहीं गाड़ियों में आग लगा दी गई तो कहीं ट्रेन की पटरियां उखाड़ दी गईं। सरकार ने इस योजना के बारे में मिथ की जगह फैक्टस बताएं हैं और भ्रांतियां दूर करने की कोशिश की है।
मिथ- ‘अग्निवीरों’ का भविष्य असुरक्षित है
फैक्ट- सेना से रिटायर होने के बाद ऐसे ‘अग्निवीर’ जो कारोबार शुरू करना चाहेंगे उन्हें वित्तीय मदद दी जाएगी। उन्हें बैंक लोन भी मिलेगा। ऐसे ‘अग्निवीर’ जो आगे पढ़ाई करना चाहेंगे उन्हें 12वीं कक्षा के बराबर का सर्टिफिकेट एवं ब्रिजिंग कोर्स जाएगा। इन्हें सीएपीएफ एवं राज्यों की पुलिस की भर्ती में वरीयता दी जाएगी। सरकार के अन्य उपक्रमों में भी इन्हें समायोजित किया जाएगा।
मिथ-‘अग्निपथ’ योजना की वजह से युवाओं के लिए सेना में अवसर कम होंगे
फैक्ट- दरअसल इस योजना से सेना में युवाओं के लिए अवसर कम नहीं बल्कि बढ़ेंगे। आने वाले वर्षों में सेना में ‘अग्निवीरों’ की भर्ती मौजूदा समय से करीब तीन गुना बढ़ जाएगी।
मिथ- रेजिमेंट से जुड़ाव कमजोर होगा
फैक्ट-सेना के रेजिमेंटल व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है। वास्तव में ‘अग्निवीरों’ के आने से रेजिमेंट की भावना और बढ़ेगी क्योंकि इसमें सर्वोत्तम जवान चुने जाएंगे।
मिथ-‘अग्निवीरों’ से सशस्त्र बलों की क्षमता प्रभावित होगी
फैक्ट- सेना में इस तरह की सीमित सेवा की व्यवस्था ज्यादातर देशों में है। इस व्यवस्था को पहले से ही परखा जा चुका है। बूढ़ी होती सेना एवं युवाओं के लिए इसे सर्वश्रेष्ठ व्यवस्था माना जाता है। पहले साल भर्ती होने वाले ‘अग्निवीरों’ की संख्या सशस्त्र सेनाओं की संख्या की मात्र 3 फीसदी होगी।
मिथ- 21 साल के जवान नादान एवं सेना के लिए भरोसेमंद नहीं होंगे
फैक्ट-दुनिया की ज्यादातर सेनाएं अपने युवा जवानों पर निर्भर हैं। सेना में युवा जवानों की संख्या अनुभवी सैनिकों से ज्यादा हो जाए, ऐसा कभी समय नहीं आएगा। इस योजना के तहत धीरे-धीरे ‘अग्निवीरों’ की संख्या बढ़ाई जाएगी वह भी अनुभवी सैनिकों की तादाद को देखते हुए।
मिथ-समाज के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं ‘अग्निवीर’, आतंकवादी बन सकते हैं।
सरकार ने अग्निवीरों के समाज के लिए खतरा बनने के सवाल पर जवाब दिया कि ऐसा कहना भी सेना के मूल्यों का अपमान है। जो युवा एक बार यूनीफॉर्म पहनेगा वह जिंदगीभर देश की सेवा करेगा। आज भी सेना से रिटायर होने वाले लोग देशभक्त होते हैं और देश विरोधी संगठनों में शामिल नहीं होते।
मिथ-‘अग्निपथ’ योजना के बारे में सशस्त्र सेनाओं के पूर्व अधिकारियों से सलाह-मशविरा नहीं किया गया।
फैक्ट- बीते दो सालों में सशस्त्र सेनाओं में सेवारत अधिकारियों से इस योजना पर व्यापक विचार-विमर्श हुआ है। इस योजना का प्रस्ताव डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री ऑफिसर्स के अधिकारियों द्वारा तैयार किया गया है। इस विभाग को सरकार ने ही बनाया है। सशस्त्र बलों के पूर्व अधिकारियों ने इस योजना के लाभों को स्वीकार और इसका स्वागत किया है।
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