नई दिल्ली। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने गलत ग्रुप का खून चढ़ाने से हुई मरीज की मौत के मामले में अस्पताल और डाक्टर को इलाज में लापरवाही का जिम्मेदार मानते हुए 20 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है। इसके साथ ही आयोग ने एक लाख रुपये मुकदमा खर्च भी देने का आदेश दिया है।
रकम का भुगतान छह सप्ताह में करना होगा और ऐसा नहीं होने पर सात प्रतिशत की दर से ब्याज देना होगा। ये आदेश एनसीडीआरसी के अध्यक्ष जस्टिस आरके अग्रवाल और सदस्य डाक्टर एसएम कांतिकर की पीठ ने अस्पताल और डाक्टर की अपील खारिज करते हुए गत 25 मई को दिया। मुआवजे की यह रकम केरल के समद अस्पताल और डाक्टर एम पिल्लई को संयुक्त रूप से जान गंवाने वाली मरीज सजीना के माता पिता को देनी होगी। सजीना और उसके पति एके नजीर का केरल के तिरुवन्तपुरम के समद अस्पताल में बांझपन का इलाज चल रहा था।
सजीना के गर्भाशय में पाए गए फाइब्रोइड को निकालने के लिए एक अगस्त 2002 को आपरेशन हुआ। आपरेशन के बाद डाक्टर पिल्लई के कहने पर सजीना को खून चढ़ाया गया था, जिसके बाद उसकी तबीयत बिगड़ गई। आरोप था कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि सजीना को गलत ग्रुप का खून चढ़ा दिया गया। उसका खून ओ पाजिटिव था और उसे बी पाजिटिव खून चढ़ा दिया गया। 28 वर्षीय सजीना की मौत हो गई थी।
इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए सजीना के स्वजन ने केरल के राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के समक्ष शिकायत दाखिल कर 45 लाख रुपये मुआवजा मांगा था। राज्य आयोग ने शिकायत आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए 9,33,000 रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया।
राज्य आयोग के फैसले के खिलाफ अस्पताल और डाक्टर ने एनसीडीआरसी में अपील दाखिल की थी। एनसीडीआरसी ने अपने फैसले में कहा कि सजीना की मौत गलत खून चढ़ाने के कारण हुई अगर सामान्य सावधानी बरती जाती तो कोई भी डाक्टर या अस्पताल ऐसी गलती नहीं करता। यह प्रोफेशनल जजमेंट की गलती नहीं है बल्कि इलाज में लापरवाही का मामला है।
इसके साथ ही राष्ट्रीय आयोग ने कहा कि राज्य आयोग ने मुआवजा तय करने में गलती की है और मुआवजे की रकम बढ़ा कर 20 लाख रुपये कर दी। चूंकि, मामले की सुनवाई के दौरान सजीना के पति की एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी, इसलिए मुआवजे की रकम सजीना के माता-पिता को मिलेगी।
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