छिंदवाड़ा। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में प्यार की एक अनूठी कहानी सामने आई है। भिखारी ने चार साल में 90 हजार रुपये जोड़े और मोपेड खरीदी। पहले उसके पास एक ट्राइसिकल थी, जिसे धक्का लगाने में पत्नी को परेशानी होती थी। उसकी परेशानी दूर करने के लिए भिखारी ने चार साल में 90 हजार रुपये जोड़े फिर मोपेड खरीदी।
छिंदवाड़ा के अमरवाड़ा में रहने वाला संतोष साहू दोनों पैरों से दिव्यांग है। वह अपनी पत्नी मुन्नी के साथ छिंदवाड़ा बस स्टैंड पर रोजाना भीख मांगकर गुजारा करता है। मोपेड खरीदने से पहले संतोष ट्राइसाइकिल चलाते थे, जिसे मुन्नी को धक्का लगाना पड़ता था। संतोष के अनुसार, इस तरह दिन भर भीख मांगते हुए वे रोजाना 300-400 रुपये की कमाई कर लेते हैं, जिससे उनका गुजारा चल जाता है।
छिंदवाड़ा के घाट वाले रास्तों पर संतोष ट्राइसिकल नहीं चढ़ा पाता था। पत्नी मुन्नी ट्राइसिकल को धक्का लगाती थी। संतोष को यह बात अच्छी नहीं लगती थी। इस पर पत्नी ने ही मोपेड खरीदने को कहा था। चार साल पहले संतोष ने मोपेड खरीदने का मन बनाया। धीरे-धीरे रुपये जुटाना शुरू किए। इस तरह उन्होंने 90 हजार रुपये जुटा लिए।
पिछले सप्ताह शनिवार को संतोष ने जमा किये गए पैसों से टीवीएस की एक्सेल 100 मोपेड खरीदी और डिलीवरी लेते ही अपनी पत्नी को मोपेड का सफर भी कराया। संतोष का कहना है कि अब मोपेड से सफर करना आसान हो गया है, इसलिए वह इंदौर और भोपाल जाकर भी भीख मांग सकता है।
इससे पहले छिंदवाड़ा का एक डिजिटल भिखारी हेमंत सुर्यवंशी भी सुर्खियों में आया था। नगर पालिका का कर्मचारी नौकरी छूटने पर भीख मांगता था। छुट्टे न होने का बहाना बनाने वालों से भीख लेने के लिए उसने बारकोड लिया था। अब लोगों से भीख लेकर दोपहिया वाहन खरीदने वाले भिखारी दंपती सुर्खियों में है।
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