श्रीनगर। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की विशेष अदालत ने जम्मू कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को दोषी करार दे दिया है। मलिक को कितनी सजा मिलेगी इस पर अदालत में 25 मई से बहस होगी। मलिक ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को कबूल कर चुका है। यह पहली बार है जब आतंक के किसी मामले में यासीन को दोषी ठहराया गया है।
1990 के बाद घाटी में आतंकी घटनाओं एवं अलगाववाद को हवा देने में यासीन मलिक का बड़ा रोल रहा है। एनआईए ने उस पर कश्मीर में आतंकवाद फैलाने, उसकी फंडिंग करने, अलगाववादी गतिविधियों में शामिल होने सहित कई आरोप लगाए थे। बीते दिनों मलिक ने अपने सभी जुर्मों को कबूल कर लिया। मलिक ने माना कि साल 2017 में उसने घाटी का माहौल बिगाड़ने में सक्रिय भूमिका निभाई। उसने आतंकवादी संगठन लश्कर ए तैयबा के ट्रेनिंग कैंप में जाने और पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों के साथ संपर्क रखने की बात भी कबूली।
कोर्ट ने जांच एजेंसी से कहा है कि वह स्थानीय अधिकारियों की मदद लेकर अलगाववादी नेता की सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर एक हलफनामा दायर करे। साथ ही मलिक से अपनी आय के सभी स्रोतों का खुलासा करते हुए हलफनामा दायर करने के लिए कहा गया है।
आतंकी संगठनों के साथ संबंध रखने की बात कबूली
मलिक ने माना है कि उसके आतंकी सरगना हाफिज सईद और सैयद सलाउद्दीन के साथ संबंध है। जाहिर है कि मलिक ने अपने गुनाहों को कबूल कर लिया है। मलिक के खिलाफ एनआईए ने दिल्ली की कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की है।
अपने ऊपर लगे आरोपों को चुनौती नहीं दी
मलिक ने कोर्ट को बताया कि वह यूएपीए की धारा 16 (आतंकवादी गतिविधि), 17 (आतंकवादी गतिवधि के लिए धन जुटाने), 18 (आतंकवादी कृत्य की साजिश रचने), व 20 (आतंकवादी समूह या संगठन का सदस्य होने) और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) व 124-ए (देशद्रोह) के तहत खुद पर लगे आरोपों को चुनौती नहीं देना चाहता।
Discussion about this post