वाराणसी। एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने ज्ञानवापी मस्जिद पर कोर्ट का फैसला आने के बाद तीखा रिऐक्शन दिया है। उन्होंने वाराणसी कोर्ट के फैसले को गलत करार दिया है। ओवैसी के मुताबिक, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए।
असदुद्दीन ओवैसी ने ज्ञानवापी मस्जिद पर वाराणसी कोर्ट का फैसला आने के बाद अपना रिऐक्शन दिया। जब ओवैसी से पूछा गया कि इस फैसले को वह कैसे देखते हैं तो इसका उन्होंने विस्तार से जवाब दिया। उन्होंने साफ कहा कि कोर्ट का फैसला गलत है। उसने पार्लियामेंट में बने प्लेसेज ऑफ रिलीजियस वर्शिप ऐक्ट के खिलाफ यह निर्णय दिया है। इस फैसले के खिलाफ तुरंत मस्जिद की कमेटी और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए। इस सर्वे को रुकवाने की कोशिश करनी चाहिए। ओवैसी ने ज्ञानवापी मामले में कहा कि वह बाबरी मस्जिद पहले ही खो चुके हैं, अब एक और मस्जिद नहीं खो सकते। वहीं ओवैसी ने मदरसों में राष्ट्रगान को लेकर कहा कि हमें भाजपा और योगी आदित्यनाथ से देशभक्ति का प्रमाणपत्र नहीं चाहिए।
ओवैसी बोले कि भारत की संसद में 1991 में इस बाबत फैसला लिया गया था। इसमें कहा गया कि सच यह रहेगा कि बाबरी मस्जिद को छोड़कर 15 अगस्त 1947 के बाद जितने भी धार्मिक स्थल हैं, उन्हें उनके नेचर और कैरेक्टर को कतई डिस्टर्ब नहीं किया जाएगा। यानी वो ज्यों के त्यों रहेंगे। इसमें छेड़छाड़ नहीं होगी। इस सच को हमें मानना पड़ेगा। उन्होंने कहा यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा बाबरी मस्जिद के मामले में दिए गए फैसले का भी उल्लंघन है।
मुगल आक्रांताओं की पैराकारी करने पर ओवसी ने कहा कि आस्था का सवाल खड़ा करके मुस्लिमों से उनकी मस्जिद छीनने की कोशिश की जा रही है। बाबरी मस्जिद को भी ऐसे ही छीना गया। रात के अंधेरे में मूर्तियां रख दी गईं। राजीव गांधी ने ताला खुलवा दिया। फिर पूजा शुरू हो गई। इसके बाद मस्जिद को शहीद कर दिया। ओवैसी बोले, ‘मैं मुगलों का पैरोकार नहीं हूं मैं संविधान का पैरोकार हूं। और अगर किसी ने आक्रमण किया था कहां किया था बताइए। यही झूठ बाबरी मस्जिद के मामले में फैलाया गया। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इसे नहीं माना।’
Discussion about this post