गाजियाबाद की DM रहीं निधि केसरवानी सस्‍पेंड, भूम‍ि अधिग्रहण में सस्‍ती जमीन खरीद रिश्‍तेदारों को दिलवाया मोटा मुनाफा

गाजियाबाद। ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे और दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के भूमि अधिग्रहण में हुए घोटाले में उत्तर प्रदेश सरकार ने बुधवार को बड़ी कार्रवाई की है। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गाजियाबाद की पूर्व जिलाधिकारी निधि केसरवानी को निलंबित कर दिया है।

गाजियाबाद की डीएम रहीं निधि केसरवानी इस समय केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य विभाग में बतौर डेप्‍युटी सेक्रेटरी काम कर रही हैं। 2004 बैच की मणिपुर कैडर की आईएएस निधि 2016 में गाजियाबाद की डीएम बनी थीं। आरोप है कि इस घोटाले में अफसरों ने किसानों से सस्‍ते रेट पर जमीन खरीद ली और फिर उसे अपने रिश्‍तेदारों को खरीदवाकर सरकार को कई गुना ऊंचे रेट पर बिकवा दी गई। मेरठ मंडल के पूर्व आयुक्‍त प्रभात कुमार ने इस घोटाले की जांच की थी। इसमें गाजियाबाद की तत्‍कालीन डीएम निधि केसरवानी समेत कई अफसरों को दोषी पाया था।

मेरठ मंडल के पूर्व आयुक्त डॉ. प्रभात कुमार ने अधिसूचना के बाद प्रतिकर की दर बढ़ाने और बढ़ी दर से मुआवजा बांटने के लिए गाजियाबाद के DM विमल कुमार शर्मा और निधि केसरवानी समेत कई अफसरों-कर्मचारियों को दोषी पाया था। 2019 में हुई उत्तर प्रदेश सरकार की कैबिनेट बैठक में इन दोनों अधिकारियों पर कार्रवाई की मंजूरी दी गई थी। विमल शर्मा रिटायर हो चुके हैं। विमल शर्मा रिटायर हो चुके हैं जबकि निधि केसरवानी भारत सरकार में तैनात हैं।

इसके साथ ही इस मामले में जांच आख्या उपलब्ध होने के बावजूद अग्रिम कार्यवाही में विलंब करने पर नियुक्ति विभाग के अनुभाग अधिकारी, समीक्षा अधिकारी को भी निलंबित करने के आदेश दिया है। अनुसचिव पर भी कार्रवाई होगी। सीएम आफिस के ट्विटर हैंडल से यह जानकारी साझा की गई।

पूर्व कमिश्नर ने बढ़ी दर से मुआवजे को गलत ठहराया था
मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस वे 82 किलोमीटर लंबा है। 31.77 किमी हिस्सा गाजियाबाद में है। गाजियाबाद में भूमि अधिग्रहण के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम- 1956 की धारा-3ए की अधिसूचना 8 अगस्त 2011 को जारी हुई थी। इस धारा के तहत भूमि अधिग्रहण का इरादा जताया गया है। धारा-3डी के तहत भूमि को अधिगृहीत किए जाने की अधिसूचना 2012 में जारी की गई। अधिगृहीत की जाने वाली भूमि का अवार्ड 2013 में घोषित हुआ।

इस अवार्ड के खिलाफ गाजियाबाद के चार गांवों-कुशलिया, नाहल, डासना और रसूलपुर सिकरोड़ के किसानों ने कोर्ट की दखल के लिए वाद दाखिल किए। 2016 और 2017 में जिलाधिकारी/आर्बिट्रेटर ने नए भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत जमीन के सर्किल रेट के चार गुना की दर से मुआवजा देने के निर्णय किए।

मामले की शिकायत होने पर तब के मंडलायुक्त डॉ. प्रभात कुमार ने इसकी जांच कराई। 29 सितंबर 2017 को शासन को सौंपी गई। जांच रिपोर्ट में उन्होंने धारा-3डी की अधिसूचना के बाद जमीन खरीदने, आर्बिट्रेटर द्वारा प्रतिकर की दर बढ़ाने और बढ़ी दर से मुआवजा दिए जाने को गलत ठहराया। इन चार गांवों की मुआवजा राशि जहां पहले 111 करोड़ रुपए थी। आर्बिट्रेशन के तहत प्रतिकर की दर बढ़ाए जाने से यह रकम 486 करोड़ रुपए हो गई।

ADM और अमीन हुए थे निलंबित
इस मामले में गाजियाबाद के पूर्व अपर जिलाधिकारी (भूमि अध्याप्ति) घनश्याम सिंह ने धारा-3डी की अधिसूचना के बाद नाहल गांव में अपने बेटे के नाम जमीन खरीदी और बाद में बढ़ी दर से मुआवजा हासिल किया। इसी तरह अमीन संतोष ने भी अपनी पत्नी व अन्य रिश्तेदारों के नाम जमीन खरीद कर ज्यादा प्रतिकर प्राप्त किया था। जांच होने पर दोनों निलंबित किए गए थे।

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