मथुरा। यूपी के मथुरा में 25 करोड़ रूपये के लालच में बेटे ने ही पिता की बेरहमी से हत्या की थी। सिर पर सब्बल से प्रहार करके हुई हत्या का खुलासा करते हुए सदर बाजार पुलिस ने हत्यारोपी बेटे को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने हत्या में प्रयोग सब्बल को भी बरामद किया।
मथुरा के सदर बाजार की अशोक विहार कॉलोनी में 24 अप्रैल की रात को थाना सदर बाजार की अशोक बिहार कॉलोनी में घर की छत पर सो रहे हुकुम चंद सैनी (80) की सब्बल प्रहार करके बेरहमी से हत्या कर दी गयी थी। एसएसपी डॉक्टर गौरव ग्रोवर ने हत्या के खुलासे के लिए पांच टीमों को लगाया था। एसपी सिटी मार्तंड प्रकाश सिंह ने बताया कि बेटे विनोद सैनी ने ही पिता की हत्या की थी। मृतक हुकुम चंद सैनी को 2015 में गोकुल बैराज डूब क्षेत्र में खेत आने के कारण करीब 3 करोड़ रुपये का मुआवजा मिला था।
इनमें से 2.5 करोड़ रुपये उन्होंने छोटे भाई गुलाब चंद सैनी के साथ कोल्ड स्टोरेज की पार्टनरशिप में लगा दिया था और 10 लाख रुपये अनिल सैनी, उनके बेटों में 2-2, 3-3 लाख रुपये बांट दिए थे। मृतक पुत्रों के साथ कोल्ड स्टोरेज की हिस्सेदारी के अलावा हिसाब-किताब को नहीं बताते थे। मृतक को फिर से मुआवजे के रूप में 25 करोड़ मिलने वाले थे। इसी को लेकर मृतक के पुत्र विनोद सैनी के मन में फिर से आया कि मुआवजे की राशि पिता फिर से कहीं अपने भाइयों में न बांट दें। यही सोचकर उसने अपने पिता की हत्या कर दी। थाना सदर बाजार एसएचओ अजय किशोर, सर्विलांस प्रभारी सोनू सिंह, एसआई घनेंद्र शर्मा, एसआई करूणा शंकर दीक्षित टीम में शामिल रहे।
दूसरे उठा रहे थे हमारे पैसों का फायदा
एसएचओ अजय किशोर ने बताया कि पिता की हत्या करने वाले विनोद ने पुलिस के समक्ष कुबूल किया है कि मुआवजे की पहली किश्त में मिले 3 करोड़ रुपये में से उनको पूरा हिस्सा नहीं मिला। 2.5 करोड़ रुपये पिता हुकुम चंद सैनी ने भाई गुलाब चंद के साथ कोल्ड स्टोरेज में लगा दिया था। मुझे भी कुछ रुपये दिया गया था, जिससे सोने-चांदी की दुकान खोली जो नहीं चल सकी। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के चलते मैं बेटी की पढ़ाई के लिए पैसे नहीं दे पा रहा था। मेरी बेटियां शादी के लायक हो गई थी तो मैंने पिता से पैसे मांगे थे, वे नहीं दे रहे थे। हमारे रुपयों का दूसरे लोग फायदा उठा रहे थे और पांचों भाई भुखमरी के कगार पर थे। पिता को फिर से जमीन मुआवजे को 25 करोड़ रुपये मिलने वाले थे, जिसके चलते मुझे लगा कि कहीं ये रुपये भी पिता लुटा न दें। इसी के चलते मैंने उनकी हत्या कर दी। इससे मुआवजे की राशि हम पांच भाइयों को ही मिल सके।
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