दिल्ली। दिल्ली में हुई धर्म संसद मामले में पुलिस की ओर से दाखिल किए गए हलफनामे पर सुप्रीम कोर्ट ने असंतुष्टता जाहिर की है। इस हलफनामे में कहा गया है कि हिंदू युवा वाहिनी की ओर से आयोजित धर्म संसद में कोई नफरत भरी बात कही ही नहीं गई। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नया हलफनामा दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है। 9 मई को इस मामले में दोबारा सुनवाई होगी।
दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट के सामने ये स्वीकार किया कि उसे अपने हलफनामे पर विचार करने की जरूरत है। जिसमें कहा गया कि 19 दिसंबर को राजधानी में आयोजित ‘धर्म संसद’ में कोई अभद्र भाषा का इस्तेमाल नहीं हुआ था। उसने कोर्ट को आश्वासन दिया कि अब उसकी ओर से बेहतर हलफनामा दायर किया जाएगा।
आपको बता दें कि इस कार्यक्रम में सुदर्शन टीवी के मुख्य संपादक सुरेश चव्हाण ने लोगों से शपथ लेने का आग्रह किया था, जिसमें कहा गया कि हम हिंदू राष्ट्र के लिए लड़ेंगे, मारेंगे और जरुरत पड़ी तो मारेंगे। इस कार्यक्रम को हिंदू युवा वाहिनी ने आयोजित किया था। उसके भी कई वक्ता इसमें शामिल हुए थे। इस हलफनामे पर वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सवाल उठाए और कहा था कि दिल्ली पुलिस का मकसद समुदाय की नैतिकता को बचाना था।
इस पर जस्टिस एएम खानविलकर ने पूछा कि ये हलफनामा पुलिस उपायुक्त ने दायर किया है। ये सब इंस्पेक्टर रैंक के जांच अधिकारी का स्टैंड है या डीसीपी का। उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली पुलिस का नया हलफनामा 4 मई तक दाखिल किया जाना चाहिए।
ये थी दिल्ली पुलिस की दलील
दिल्ली पुलिस ने कहा कि धर्म संसद में मुसलमानों के खिलाफ उकसावे की कोई बात नहीं कही गई थी। वहां पर सिर्फ धर्म की बारीकियों की चर्चा की गई, ऐसे में देखा जाए तो किसी भी समुदाय के खिलाफ हेट स्पीच नहीं दी गई थी।
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