लखनऊ। समाजवादी पार्टी (सपा) में बगावत की आग फैलती ही जा रही है। शिवपाल यादव और आजम खान की बागवत के बीच अब स्वामी प्रसाद मौर्य के भतीजे प्रमोद मौर्य ने भी सपा से इस्तीफा दे दिया है। सपा के प्रदेश सचिव प्रमोद मौर्य ने पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव को भेजे इस्तीफे में कई गंभीर आरोप लगाए हैं।
प्रमोद मौर्य ने कहा है, ”जब मैं सपा में शामिल हो रहा था तो कुछ लोगों ने कहा था कि सपा केवल एक जाति विशेष के लोगों की पार्टी है, लेकिन फिर भी मैंने आपसे प्रभावित होकर सपा की सदस्यता ग्रहण की। पार्टी में काम करते हुए हमने यह महसूस किया है कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जी केवल अपनी जाति को बड़ी जाति मानते हैं। पार्टी की बैठकों में अक्सर मौर्य, कुशवाहा, शाक्य, सैनी, पटेल व अन्य पिछड़ी जातियों को छोटा दिखाने की कोशिश करते हैं। सपा में 75 जिलों में एक भी जिलाध्यक्ष मौर्य, कुशवाहा, शाक्य, सैनी समाज का नहीं है।”
प्रमोद ने इस्तीफे में स्वामी प्रसाद मौर्य का भी जिक्र किया है और लिखा है कि जब वह सपा में शामिल हुए तो लगा था कि अब मौर्य, कुशवाहा, शाक्य, सैनी समाज को सपा में महत्व मिलेगा। जहां-जहां स्वाम प्रसाद मौर्य ने समाज के लोगों को टिकट देने की बात कही थी आपने उसको माना था, लेकिन टिकट फाइनल करते समय आपने चंद्रपाल सैनी हसनपुर अमरोहा, बलराम सैनी बिलारी मुरादाबाद, हरपाल सैनी मेरठ, देवेश शाक्य विधुना औरैया, अमरनाथ मौर्य शहर पश्चिमी इलाहाबाद, बलराम मौर्य रुदौली फैजाबाद और दामोदर मौर्य मंझवां मिर्जापुर, तेजबहादुर मौर्य सदर जौनपुर आदि को टिकट देकर इसलिए काट दिया कि अगर ये लोग जीत गए तो मौर्य कुशवाहा, शाक्य, सैनी समाज का पार्टी में मजबूत हैसियत हो जाएगा।” प्रमोद ने कहा है कि सपा से अधिक भाजपा से इन समाज के लोग जीतकर आए हैं।
बता दें प्रतापगढ़ के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुके प्रमोद मौर्य फरवरी 2018 में भाजपा छोड़ सपा में शामिल हुए थे। सपा में शामिल होते समय प्रमोद मौर्य ने स्वामी प्रसाद मौर्य के भी सपा में शामिल होने का दावा किया था। प्रमोद का दावा सच होने में समय जरूर लगा, लेकिन स्वामी प्रसाद मौर्य विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा छोड़ सपा में शामिल हो गए थे।
भाजपा को मिट्टी में मिला देने का दावा करते हुए सपा में शामिल हुए स्वामी प्रसाद मौर्य खुद अपनी सीट भी नहीं जीत पाए। उन्हें फाजिलनगर से हार का सामना करना पड़ा। अक्सर बड़बोले बयानों की वजह से सुर्खियों में रहने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य चुनाव नतीजों के बाद से ही खामोश हैं।
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