केंद्रीय विद्यालय में एडमिशन के लिए सांसद-डीएम का कोटा खत्म

नई दिल्ली। केंद्रीय विद्यालय में सांसदों और जिलाधिकारी के कोटे से बच्चों के एडमिशन पर भारत सरकार ने तत्काल रोक लगा दी है। अब सांसद और जिलाधिकारी अपने कोटे से बच्चों को प्रवेश नहीं दिला सकेंगे। इससे पहले शिक्षा मंत्री ने भी पिछले साल केंद्रीय विद्यालयों में दाखिले के अपने कोटे पर खत्म कर दिया था। इससे पहले तक शिक्षा मंत्री अपने कोटे से हजारों छात्रों को केंद्रीय विद्यालयों में दाखिला दिलवाते थे। यह दाखिला केंद्रीय विद्यालयों में निर्धारित सीटों के अतिरिक्त होता था।

लोकसभा में कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने देश के केंद्रीय विद्यालयों में सांसद कोटा की सीटों को बढ़ाने या इसे खत्म करने की मांग सदन के सामने रखी थी, तभी से इसको लेकर सियासी चर्चा शुरू हो गई थी. कई सांसदों ने इस कोटे को भेदभावपूर्ण बताकर खत्म करने की मांग की थी, तो कई इसे खत्म करने के बजाय सीटों की संख्या में बढ़ोतरी की मांग कर रहे थे।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने इसे लेकर सभी दलों को चर्चा करने का निर्देश दिया था। वहीं, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का कहना था सदन मिलकर इस बात का फैसला करेगी कि क्या सांसद कोटे को बढ़ाया जाए या इसे खत्म कर दिया जाए।

बढ़ जाएंगी 30 हजार सीट
सांसद और जिलाधिकारी कोट खत्म होने को लेकर बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री ने एक ट्वीट किया है। इस ट्वीट में उन्होंने लिखा है कि सांसद कोटे से 7,500 और कलेक्टर कोटे से 22,000 छात्रों के दाखिले होते रहे हैं। ऐसे में रजिस्ट्रेशन में न आरक्षण के नियमों का पालन होता था और न ही योग्यता को आधार बनाया जाता था। दाखिले को कोटा मुक्त करने से आरक्षण और योग्यता के आधार पर रजिस्ट्रेशन के लिए एक झटके में 30 हजार सीटें बढ़ जाएंगी। इसका लाभ एससी, एससी, ओबीसी और EWS वर्ग के बच्चों को मिलेगा।

क्या है केंद्रीय विद्यालय में सांसद कोटा?
साल 1975 में केंद्र सरकार ने केंद्रीय विद्यालयों में विशेष योजना के तहत सांसद कोटा का निर्धारण किया था। इसके तहत लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसदों के लिए सीटों की संख्या तय की गई थी। इसके माध्यम से जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्र के प्रमुख और जरूरतमंद लोगों को सुविधा दे सकते थे। सांसद केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और केंद्रीय विद्यालय संगठन को एक कूपन और छात्र जिसका प्रवेश कराना हो उसकी पूरी जानकारी भेजते हैं। इसके बाद संगठन द्वारा आधिकारिक वेबसाइट पर शॉर्टलिस्ट किए गए छात्र का नाम जारी किया जाता है और इसके बाद एडमिशन की प्रक्रिया शुरू होती है। हालांकि, ध्यान देने वाली बात है कि यह सुविधा केवल पहली से नौवीं कक्षा तक ही लागू होती है। सांसदों के साथ ही केंद्रीय शिक्षा मंत्री के पास भी 450 छात्रों को प्रवेश दिलाने का कोटा दिया गया है।

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