नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी आज अपना स्थापना दिवस मना रही है। आज ही के दिन 1980 में इसकी स्थापना की गई थी। इससे पहले 1951 से 1977 तक भारतीय जनसंघ और 1977-80 तक जनता पार्टी के तौर पर इसकी पहचान थी। आज 42 साल की इस यात्रा में बीजेपी सबसे ताकतवर राजनीतिक दल के रूप में उभर चुकी है।
अटल बिहारी वाजपेयी ने 31 मई 1996 को एक भाषण दिया था, उनका यह भाषण अमर हो गया। जब अटल प्रधानमंत्री थे और उनकी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था तो उन्होंने खुद सदन में पार्टी के संख्या बल कम होने की बात कही थी और राष्ट्रपति को इस्तीफा सौंपा था। इस दिन उन्होंने भाजपा की तपस्या का बखान किया था। उन्होंने संसद में दिए अपने भाषण में कहा था, ‘भाजपा को खड़ा करने में काफी तपस्या की गई है। यह कोई कुकुरमुत्ते वाली पार्टी नहीं है।’
उन्होंने कहा कि सदन में एक-एक व्यक्ति की पार्टियां हैं। वे हमारे खिलाफ जमघट कर हमें हटाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्हें प्रयास करने का पूरा अधिकार है। मगर हैं वो एक। एक व्यक्ति की पार्टी। एकला चलो रे। दिल्ली में आकर हो जाओ इकट्ठे। किसलिए इकट्ठे हो जाओ? देश के भले के लिए तो स्वागत है। हम भी अपने ढंग से देश की सेवा कर रहे हैं। हमने निस्वार्थ भाव से देश की सेवा की है। राजनीति में अपना स्थान बनाने का प्रयास किया है।
अटल बिहारी ने कहा कि हमारे इन प्रयासों के पीछे 40 साल की साधना है। यह कोई आकस्मिक जनादेश नहीं है। यह कोई चमत्कार नहीं हुआ है। भाजपा ने मेहनत की है। हम लोगों में गए हैं। हमने संघर्ष किया है। भाजपा 365 दिन चलने वाली पार्टी है। यह कोई चुनाव में कुकुरमुत्ते की तरह खड़े होने वाली पार्टी नहीं है।
दो सांसद से पूर्ण बहुमत की भाजपा
भगवा पार्टी के संसद में कभी दो सांसद हुआ करते थे। आज नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लगातार दो बार से पूर्ण बहुमत की सरकार है। अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि एक दिन पूरे देश में कमल खिलेगा। हालाँकि इससे पहले भी अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बीजेपी ने केंद्र में गठबंधन की सरकार बनाई थी। लेकिन उन्हें विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव का भी सामना करना पड़ा था। तब उन्होंने राजनीति में शुचिता के सवाल पर एक बार उन्होंने कहा था ‘मैं 40 साल से इस सदन का सदस्य हूं, सदस्यों ने मेरा व्यवहार देखा, मेरा आचरण देखा, लेकिन पार्टी तोड़कर सत्ता के लिए नया गठबंधन करके अगर सत्ता हाथ में आती है तो मैं ऐसी सत्ता को चिमटे से भी छूना पसंद नहीं करूंगा।’
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