देहरादून। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भाजपा और कांग्रेस नेता के समर्थकों पर उनकी छवि खराब करने का आरोप लगाया है। रावत ने कहा कि अगर यह साबित हो जाता है कि उन्होंने कभी राज्य में मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना करने को लेकर बयान दिया था तो वह राजनीति छोड़ देंगे। वहीं उत्तराखंड कांग्रेस ने बड़ा कदम उठाते हुए पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष अकील अहमद को पार्टी से छह साल के लिए बाहर का रास्ता दिखा दिया है।
हरीश रावत ने रविवार को एक फेसबुक पोस्ट में कहा, “चुनाव में हमारी हार के बाद काफी समय से बिना किसी वजह के मेरे खिलाफ सोशल मीडिया पर बेबुनियाद आरोपों की बौछार की जा रही है। भाजपा समर्थकों के अलावा, हमारे एक नेता से जुड़े कुछ लोग भी मुझ पर निशाना साध रहे हैं। उन्हें लगता है कि यह राजनीति में मेरा अस्तित्व खत्म करने का एक अवसर है।”
हरीश रावत ने सवाल उठाते हुए कहा कि कहां से एक यूनिवर्सिटी का मामला उठा, किसने उसको उठाया, किनके सामने उठाया और उस व्यक्ति को पार्टी का उपाध्यक्ष किसने बनाया। यह कहानी अब सारे राज्य के लोगों को स्पष्ट मालूम है। यूनिवर्सिटी की बात कहने वाले व्यक्ति की सियासी जिंदगी में उसे सचिव व महामंत्री बनाने वाला नाम भी सामने आ चुका है। एक विस्फोटक बात करने वाले व्यक्ति को हरिद्वार ग्रामीण में पर्यवेक्षक बनाकर किसने भेजा और किसके कहने पर भेजा। यह तथ्य अभी जरूर स्पष्ट नहीं हुआ है। लेकिन उद्देश्य स्पष्ट था हरिद्वार ग्रामीण जो पहले से ही संवेदनशील चुनाव क्षेत्र है, वहां की उम्मीदवार को चुनाव हराना। हरीश रावत ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वह मेरी बेटी है अर्थात कुछ लोग बाप का इंतजाम करने के बाद बेटी की हार का भी इंतजाम करने में लग गए थे।
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर राज्य में मुस्लिम विश्वविद्यालय स्थापित करने का उनका कथित बयान साबित हो जाता है तो वह महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास बैठकर राजनीति छोड़ने की घोषणा कर देंगे। इससे पहले रावत ने उन पर लगाए जा रहे आरोपों पर पलटवार किया था। उन्होंने कहा कि अगर पूरे घटनाक्रम की जांच की मांग को लेकर वे कांग्रेस कार्यालय में उपवास पर बैठ गए, तो एआईसीसी को स्वतंत्र उच्चस्तरीय जांच बैठानी पड़ेगी।
वहीं हरीश रावत के लगातार विरोध के बाद कांग्रेस ने अकील अहमद पर बड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें पार्टी के पदों के साथ ही प्राथमिक सदस्यता से भी छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है। कांग्रेस के प्रदेश महासचिव मथुरादत्त जोशी ने एक पत्र जारी करते हुए यह आदेश दिया। यह वही अकील अहमद हैं, जिनका एक बयान चुनाव प्रचार के दौर में वायरल हुआ था, जिसमें वह कहते देखे गए कि उत्तराखंड में कांग्रेस मुस्लिम यूनिवर्सिटी खोलेगी और इसके लिए हरीश रावत से उनकी बातचीत हुई।
कांग्रेस ने हार का कारण माना है मुस्लिम यूनिवर्सिटी का मुद्दा
उत्तराखंड में चुनाव के दौरान मुस्लिम यूनिवर्सिटी का मुद्दा उठने के बाद भाजपा ने इस मुद्दे को पूरे चुनाव में जमकर उठाया। इतना ही नहीं इस प्रकरण को लेकर पूर्व सीएम हरीश रावत पर जमकर निशाना भी साधा गया। इस पूरे प्रकरण पर हरीश रावत चौतरफा घिरते हुए नजर आए। जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मंच से हरीश रावत पर इस मुद्दे को लेकर हमला किया। चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार के लिए इस मुद्दे को ही प्रमुख कारण माना गया। जिस पर कांग्रेस की समीक्षा बैठकों में हार का ठीकरा इसी मुद्दे पर फोड़ा गया। अब हरीश रावत इस मुद्दे की सच्चाई को सबके सामने लाने की कोशिश में जुट गए हैं।
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