दिल्ली। दिल्ली हवाईअड्डे पर जल्द ही यात्रियों को तेज गति इंटरनेट और 5जी मोबाइल नेटवर्क की सुविधा उपलब्ध होगी। इसके लिए यहां स्ट्रीट फर्नीचर जैसे ट्रैफिक सिग्नल, लाइट साइनेज, लैंप पोस्ट, लाइट पोल, यूटिलिटी पोल और होर्डिंग आदि पर छोटे सेल (स्मॉल सेल) वाले सेलुलर नोड लगाए जाएंगे।
दिल्ली हवाईअड्डा प्रशासन के साथ भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई), नागरिक उड्डयन मंत्रालय, दूरसंचार विभाग, मोबाइल ऑपरेटर्स एसोसिएशन, दूरसंचार सेवा प्रदाताओं ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत हवाईअड्डे पर इसके लिए अध्ययन शुरू किया है।
इसमें 5जी नेटवर्क के ट्रायल के साथ रिपोर्ट तैयार होगी, जिसमें दूरसंचार बुनियादी ढांचा सुधार पर किस तरह काम करना है, 5जी के रास्ते में क्या चुनौतियां हैं और भविष्य की कार्ययोजना बनाई जाएगी, जिससे हवाईअड्डे पर आने वाले समय में यात्रियों को बेहतर नेटवर्क सुविधा दी जा सके। दरअसल, दिल्ली हवाईअड्डे को छोटे और बड़े शहरों के नए हवाई मार्गों से जोड़ा जा रहा है। अगले कुछ वर्षों में हवाईअड्डे की क्षमता मौजूदा सात करोड़ सालाना से बढ़ाकर 10 करोड़ यात्री सालाना की जाएगी। इसके लिए यह कवायद की जा रही है।
प्रमुख फायदे
– यात्रियों को तेज गति की इंटरनेट सेवा मिलेगी
– ट्रैफिक सिग्नल को स्मार्ट तरीके से चलाने में मदद करेगा
– बिजली चोरी को पकड़ने में मदद मिलेगी
– 5जी मोबाइल नेटवर्क की सुविधा मिलेगी
– कम लागत
स्थानीय निकायों को भी फायदा
लोगों को बेहतर मोबाइल नेटवर्क के अलवा जिन ट्रैफिक सिग्नलों या बिजली के खंभों पर नए छोटे सेल वाले टावरों को लगाया जाएगा उससे स्थानीय सिविक एजेंसियों को भी फायदा मिलेगा। एजेंसियों को 5जी के इस्तेमाल से स्मार्ट वेस्ट डिस्पोजल, स्मार्ट ट्रैफिक सिग्नल, बिजली की स्मार्ट मीटरिंग, स्मार्ट ग्रिड मॉनिटरिंग, डिजास्टर मैनेजमेंट, ऑटोमेशन, एनर्जी मैनेजमेंट, अधिक रेवेन्यू हासिल करने में मदद मिलेगी।
यह भी जानें
यह छोटे सेल कम शक्ति वाले सेलुलर रेडियो एक्सेस नोड होते हैं, जिनकी रेंज 10 मीटर तक होती है। यह बड़े टावरों की जगह स्ट्रीट फर्नीचर जैसे ट्रैफिक सिग्नल, लाइट साइनेज, लैंप पोस्ट, लाइट पोल, यूटिलिटी पोल आदि पर लगाए जाते हैं। इनके साथ में एरियल फाइबर भी लगाए जाते हैं। अभी टेलीकॉम कंपनियां मोबाइल सिग्नल बेहतर करने के लिए जगह जगह बड़े-बड़े मोबाइल टावर लगाती हैं। इन्हें लगाना न सिर्फ महंगा होता है बल्कि इसे लगाने के लिए भी टेलीकॉम कंपनियों को हर महीने भारी किराया भी देना पड़ता है। घरों के ऊपर लगे टावरों से आसपास के लोगों की सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है।
यहां भी की गई पहल
यह पायलट प्रोजेक्ट पीएम गति शक्ति पहल के साथ गुजरात के कांडला पोर्ट, बेंगलुरु मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन और भोपाल स्मार्ट सिटी में भी शुरू किए गए हैं। इसके अलावा देश भर में गली-नुक्कड़ और चौराहों और सार्वजनिक जगहों पर लगे बिजली के खंभे, ट्रैफिक सिग्नल आदि के जरिए भी 5जी नेटवर्क फैलाया जाएगा। ट्राई ने इसके लिए सभी हितधारकों से 20 अप्रैल तक इस पर राय मांगी है और 4 मई तक उन पर वापस जवाब दिया जाएगा।
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