दिल्ली। दिल्ली दंगा मामले में आरोपी जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद को अदालत ने झटका देते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया है। अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी है। उमर खालिद पर दिल्ली दंगों की साजिश रचने समेत कई गंभीर आरोप है और वह गिरफ्तारी के बाद से लगातार जेल में ही बंद है।
दिल्ली दंगे की साजिश के आरोप में यूएपीए के तहत जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद को गिरफ्तार किया गया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत के कोर्ट ने पिछली सुनवाई में इस पर निर्णय सुरक्षित रख लिया था। दिल्ली हाईकोर्ट अधिवक्ता ने पिछली सुनवाई के दौरान अदालत को बताया था कि उत्तर पूर्वी दिल्ली के इलाकों में दंगों के दौरान उमर खालिद समस्तीपुर से नताशा नरवाल के लगातार संपर्क में था और उसे दिशानिर्देश दे रहा था।
इतना ही नहीं, उमर खालिद दिल्ली प्रोटेस्ट सपोर्ट ग्रुप (डीपीएसजी) का सदस्य था। वह शाहीन बाग और सीलमपुर में हुई गोपनीय बैठक में शामिल हुआ। वह अन्य आरोपितों के लगातार संपर्क में था। उसके भाषण और विभिन्न गवाहों के बयानों से साजिश में उसकी भूमिका साफ झलकती है जबकि उमर खालिद की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता त्रिदेव पेस ने कहा कि जेएनयू छात्र के खिलाफ पूरा आरोपपत्र मनगढ़ंत है और समाचार चैनलों द्वारा दिखाए गए उमर खालिद के भाषण के एक छोटे वीडियो क्लिप पर आधारित है।
बता दें कि नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध के दौरान, दिल्ली के उत्तरपूर्वी हिस्से में फरवरी 2020 में बड़े पैमाने पर झड़पें और हिंसा हुई थीं। इसमें 53 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 700 से अधिक घायल हो गए थे।
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