न्यूयॉर्क। यूक्रेन में मानवीय संकट पर प्रस्ताव के खिलाफ रूस की तरफ से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव लाया गया था। लेकिन रूस और चीन को छोड़कर किसी और देश ने मतदान नहीं किया।जबकि भारत सहित यूएनएससी के 13 सदस्यों ने मतदान से परहेज किया। भारत ने यूक्रेन में मानवीय संकट पर रूस द्वारा लाए गए प्रस्ताव से दूर रहकर रूस-यूक्रेन स्थिति पर अपना तटस्थ रुख बनाए रखा।
स्थायी और वीटो अधिकार रखने वाले परिषद के सदस्य रूस ने 15 सदस्य देशों के सामने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपने मसौदा प्रस्ताव पर वोट देने का आह्वान किया था। जिसमें मांग की गई थी कि मानवीय संकट को देखते हुए महिलाओं और बच्चों समेत कमजोर परिस्थितियों में रह रहे नागरिकों को पूरी तरह से संरक्षित किया जाए। प्रस्ताव में कहा गया कि “नागरिकों की सुरक्षा, स्वैच्छिक और निर्बाध निकासी को सक्षम बनाने के लिए बातचीत के जरिए संघर्ष विराम का आह्वान करता है और संबंधित पक्षों को इस उद्देश्य के लिए मानवीय ठहराव पर सहमत होने की आवश्यकता को रेखांकित करता है।”
रूस और चीन ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जबकि भारत उन 13 देशों में शामिल रहा, जिन्होंने मतदान में भाग नहीं लिया। भारत ने पहले भी सुरक्षा परिषद में दो मौकों पर और एक बार यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के प्रस्तावों पर महासभा में भाग नहीं लिया था।
वहीं रूस के इस प्रस्ताव पर अमेरिका ने तीखी टिप्पणी की। यूएन में अमेरिका की राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने कहा कि रूस ने युद्ध छेड़ा, उसने ही हमला किया और उसने ही यूक्रेन में घुसपैठ की, यूक्रेन में लोगों पर अत्याचार का एकमात्र जिम्मेदार देश रूस है। अब ये लोग चाहते हैं कि हम उस प्रस्ताव को पास करें जो इनकी क्रूरता को भी स्वीकार ना करे। रूस की ओर से यह बेहद गैरजिम्मेदाराना कदम है, यह रूस की बेशर्मी है कि उसने यह प्रस्ताव पेश किया है कि यूक्रेन में मानवीय संकट का अंतरराष्ट्रीय समुदाय समाधान निकाले जिसके लिए सिर्फ खुद रूस ही जिम्मेदार है।
वहीं ब्रिटेन की राजदूत बार्बरा वुडवर्ड ने कहा कि अगर रूस मानवीय स्थिति की परवाह करता है तो वह बच्चों पर बमबारी करना बंद करे, बजाए इस तरह की चाल चलने के। लेकिन इन लोगों ने बमबारी बंद नहीं की है।
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