नई दिल्ली। निरस्त हो चुके तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को लेकर एक बार फिर राजनीति तेज हो गई है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने एक बार फिर बड़े किसान आंदोलन की धमकी दी है। जाहिर है ऐसा अगर फिर होता है तो सड़को को बंधक बनाया जाएगा जिसकी कीमत आमजन को चुकानी होगी।
किसान नेता राकेश टिकैत ने अपने ताजा बयान में कहा है कि तीन कृषि कानूनों के समर्थन में घनवट ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट सार्वजनिक कर साबित कर दिया कि वे केंद्र सरकार की ही कठपुतली थे। इसकी आड़ में इन बिलों को फिर से लाने की केंद्र की मंशा है तो देश में और बड़ा किसान आंदोलन खड़े होते देर नहीं लगेगी।
दरअसल जिन तीन कृषि सुधार कानूनों के विरोध में दिल्ली की घेराबंदी कर कुछ संगठन सालभर तक धरने पर बैठे रहे, 85 प्रतिशत किसान संगठन उन कानूनों को रद करने के पक्ष में नहीं थे। इन कानूनों की समीक्षा करने और सभी पक्षों की राय जानने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त तीन सदस्यीय समिति के एक सदस्य ने यह दावा किया है। उनका कहना है कि समिति भी कानूनों को पूरी तरह रद करने के पक्ष में नहीं थी। उसमें सुधार के कुछ सुझाव दिए थे, जिसमें विशेष कीमत पर फसलों की खरीद राज्यों पर छोड़ने और आवश्यक वस्तु अधिनियम को रद करना शामिल था।
बता दें कि किसान आंदोलन के कारण दिल्ली-एनसीआर के लाखों वाहन चालकों को महीनों तक परेशानी झेलनी पड़ी थी जिसके कारण यह आंदोलन को खत्म कराने का मामला कोर्ट में पहुंचा था। हालांकि कोर्ट ने किसानों से रास्ता खाली करने की अपील की थी मगर किसान नहीं हटे थे।
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