कश्मीरी हिंदुओ के नरसंहार के दोषियों को मिलेगी सजा, एनआईए कोर्ट ने आतंकियों के खिलाफ आरोप तय करने के दिए आदेश

यासीन मलिक और बिट्टा कराटे

श्रीनगर। निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने फिल्‍म ‘द कश्‍मीर फाइल्‍स’ फिल्‍म के जरिये कश्‍मीरी पंडितों के नरसंहारऔर पलायन की दर्दनाक कहानी बयां की है। फिल्‍म की इन दिनों हर चौक-चौराहे पर चर्चा है। इस बीच एनआईए कोर्ट ने आतंकी संगठन लश्करे तैयबा के सरगना हाफिज सईद, हिजबुल के प्रमुख सैयद सलाउद्दीन, कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक, शब्बीर शाह, मसरत आलम व अन्य के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया है।

एनआईए कोर्ट ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के वित्त पोषण के लिए पाकिस्तान से पैसा भेजा गया और यहां तक कि शैतानी इरादों को अंजाम देने के लिए राजनयिक मिशन का भी इस्तेमाल किया गया। आतंकियों को वित्तीय मदद कराने के लिए अंतरराष्ट्रीय आतंकी हाफिज सईद ने भी पैसा भेजा था।

एनआई कोर्ट ने कश्मीर के नेता व पूर्व विधायक राशिद इंजीनियर, कारोबारी जहूर अहमद शाह वटाली, बिट्टा कराटे, आफताब अहमद शाह, अवतार अहमद शाह, नईम खान, बशीर अहमद बट उर्फ पीर सेफुल्लाह व कई अन्य पर भी आरोप तय करने का निर्देश दिया है। इन सभी पर यूएपीए कानून के अलावा भारतीय दंड संहिता के विभिन्न प्रावधानों, जिनमें आपराधिक षड्यंत्र, देश के खिलाफ जंग छेड़ने के आरोप में भी केस चलेगा।

कोर्ट का कहना है कि शुरुआती तौर पर एक बड़ी आपराधिक साजिश के तहत बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए, जिसके कारण हिंसा की घटनाएँ हुईं। अदालत ने ये भी कहा कि भारत से कश्मीर को अलग करने के मूल लक्ष्य को हासिल करने के लिए हिंसा की साजिश को रचा गया था।

कोर्ट ने कहा, “तर्क दिया गया है कि गाँदीवादी तरीके से शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। जबकि, प्रथम दृष्टया सबूत कुछ और ही कहते हैं। विरोध न केवल हिंसक थे, उनका इरादा हिंसक होना था। इस प्रकार प्रथम दृष्टया इनकी योजना एडोल्फ हिटलर और नाजी पार्टी की असली सेना ब्राउनशर्ट्स के मार्च की तरह सीधी और स्पष्ट थी। इनका उद्देश्य सरकार को डराना और किसी विद्रोह की योजना से कम नहीं था।”

एनआईए के अनुसार विभिन्न आतंकवादी संगठन जैसे लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), हिज्ब-उल-मुजाहिदीन (एचएम), जम्मू और कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ), जैश-ए-मोहम्मद (जेएम) ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के समर्थन से नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमला करके घाटी में हिंसा को अंजाम दिया। वर्ष 1993 में अलगाववादी गतिविधियों को एक राजनीतिक आधार देने के लिए ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (APHC) का गठन किया गया था।

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