वाशिंगटन। रूस-यूक्रेन युद्ध से पूरी दुनिया में चिंता है। यूक्रेन में रूस की सैन्य कार्रवाई का मसला कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठा है। यह मामला अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में भी पहुंचा, जहां इस अंतराष्ट्रीय अदालत ने रूस से यूक्रेन में अपनी सैन्य कार्रवाई तुरंत रोकने को कहा है। खास बात यह रही कि इसमें भारतीय न्यायाधीश जस्टिस भंडारी ने रूस के खिलाफ वोट किया, जोकि भारत के आधिकारिक रुख से बिल्कुल अलग है। भारत ने अभी तक इस पूरे मसेल पर किसी भी देश का पक्ष नहीं लिया है। लेकिन जस्टिस भंडारी ने कोर्ट में रूस-यूक्रेन के बीच मुद्दे पर स्वतंत्र राय जाहिर की है।
ICJ का यह आदेश बुधवार को आया, जिसमें साफ तौर पर कहा गया कि रूस ने यूक्रेन में 24 फरवरी, 2022 से जो सैन्य कार्रवाई की, उसे तत्काल रोक दे। ICJ ने यह आदेश दो के मुकाबले 13 मतों से सुनाया यानी 13 देश जहां इस बात के पक्ष में रहे कि रूस को यूक्रेन में अपनी सैन्य कार्रवाई तुरंत रोक देनी चाहिए, वहीं दो देशों ने इसके खिलाफ मतदान किया।
इसमें सबसे अहम रुख ICJ में भारतीय जज दलवीर भंडारी का रहा, जिन्होंने यूक्रेन में रूस की सैन्य कार्रवाई के खिलाफ मतदान किया। उनका यह रुख जहां ICJ के बहुमत के आधार पर लिए गए फैसले के अनुरूप है, वहीं इस मामले में भारत सरकार के रुख से बिल्कुल अलग है, जिसने अब तक संयुक्त राष्ट्र में किसी भी मंच पर रूस के खिलाफ वोट से परहेज किया है और इस पर तटस्थ रुख अपनाया है।
- जस्टिस दलवीर भंडारी इंटरनेशनल कोर्ट में अपना दूसरा कार्यकाल पूरा कर रहे हैं। वे मूल रूप से जोधपुर के रहने वाले हैं।
- वर्ष 2012 में, उन्हें पहले कार्यकाल के लिए चुना गया जो 2018 तक रहा। इसके उन्हें भारत द्वारा फिर से नामित किया गया।
- वह ब्रिटेन के नामित जस्टिस ग्रीनवुड को हराकर ICJ में एक और कार्यकाल जीता।
- पद्मभूषण से सम्मानित जस्टिस भंडारी 40 साल से भी ज्यादा समय तक भारतीय न्याय प्रणाली का हिस्सा रहे हैं।
- वे कभी वकील के रूप में, हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट के जज तो फिलहाल अंतरराष्ट्रीय अदालत के जज के रूप में सेवाएं दे रहे हैं।
- जस्टिस भंडारी ने 1973 से 1976 तक राजस्थान हाई कोर्ट में वकालत की। उसके बाद दिल्ली आ गए। यहां वे कोर्ट में प्रैक्टिस करते रहे।
- 1991 में उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट का जज बनाया गया।
- दिल्ली हाईकोर्ट जज बनने के बाद जस्टिस भंडारी बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने।
- जस्टिस भंडारी 2005 में सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त किए गए।
- 2012 में सुप्रीम कोर्ट से रिटायर होने के बाद वे आईसीजे में जज बनाए गए। उन्हें भारी मतों से चुना गया। उसके बाद से वे लगातार आईसीजे में सेवाएं दे रहे हैं।
- भारत में पढ़ाई करने के बाद जस्टिस दलवीर भंडारी ने अमरीका की शिकागो स्थित नार्थवेस्टर्न विश्वविद्यालय से कानून में मास्टर्स की डिग्री हासिल की। उन्हें अंतरराष्ट्रीय कानून का काफी अनुभव है।
- 1994 से ही जस्टिस भंडारी इंटरनेशनल लॉ एसोसिएशन, इंडिया चैप्टर के सदस्य हैं।
- 2007 में वे सर्वसम्मति से इंडिया इंटरनेशनल लॉ फाउंडेशन के अध्यक्ष चुने गए।
- जस्टिस भंडारी ने एक पुस्तक भी लिखी है- ‘ज्यूडीशियल रिफॉर्म्स : रीसेंट ग्लोबल ट्रेंड्स’
इन जजों ने रूस के खिलाफ किया मतदान
ICJ में 15 न्यायाधीश होते हैं, जो विभिन्न देशों से होते हैं। ICJ के अध्यक्ष जहां जोआन ई डोनोग्यू (अमेरिका) हैं, वहीं जस्टिस पीटर टोमका (स्लोवाकिया), जस्टिस रोनी अब्राहम (फ्रांस), जस्टिस मोहम्मद बेन्नौना (मोरक्को), जस्टिस अब्दुलकावी अहमद यूसुफ (सोमालिया), जस्टिस जूलिया सेबुटिंडे (युगांडा), जस्टिस दलवीर भंडारी (भारत), जस्टिस पैट्रिक लिप्टन रॉबिन्सन (जमैका), जस्टिस नवाफ सलाम (लेबनान), जस्टिस इवासावा यूजी (जापान), जस्टिस जॉर्ज नोल्टे (जर्मनी), जस्टिस हिलेरी चार्ल्सवर्थ (ऑस्ट्रेलिया) और जस्टिस टदर्थ दौडेट इसके अन्य सदस्य हैं, जिन्होंने यूक्रेन में रूस की सैन्य कार्रवाई रोकने के पक्ष में मतदान किया।
वहीं, यूक्रेन में रूस की सैन्य कार्रवाई के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव के विरोध में जिन दो जजों ने वोट डाले, उनमें जस्टिस किरिल गेवोर्गियन (रूस) और जस्टिस सू हनकिन (चीन) शामिल हैं।
बता दें कि भारत ने यूएन में यूक्रेन-रूस के मसले पर वोटिंग से खुद को अलग कर लिया था और कहा था कि दोनों ही पक्षों को बातचीत के जरिए मसले का समाधान निकालना चाहिए। गौर करने वाली बात है कि यूक्रेन रूस पर गैरकानूनी तरह से युद्ध शुरू करने का आरोप लगाता आ रहा है। यूक्रेन का कहना है कि रूस गैरकानूनी तरह से डोनेस्क और लुगांस्क क्षेत्र में नरसंहार का बहाना बनाकर यूक्रेन के खिलाफ युद्ध लड़ रहा है। यूक्रेन ने आईसीजे से अपील की है कि कोर्ट रूस को तत्काल प्रभाव से युद्ध को रोकने के लिए कहे।
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