गाजियाबाद। विधानसभा चुनावों की मतगणना के दौरान गाजियाबाद में बिना पास के मतगणना स्थल पर पहुंचे भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारियों को रोकने का मामला तूल पकड़ने लगा है। मतगणना के दौरान बैरियर पर रोके जाने से नाराज भाजपा नेताओं द्वारा आरोप-प्रत्यारोप लगाने के बाद गाजियाबाद के एसएसपी ने कमान संभालते हुए अपने अधीनस्थ अधिकारियों के का बचाव किया है।
एसएसपी ने रविवार को प्रेस में एक बयान जारी कर कहा कि बैरियर पर बिना पास के लोगों को रोकने के लिए उन्होंने ही आदेश दिया था। मतगणना के दिन जो घटनाक्रम हुआ उसकी पूरी जिम्मेदारी उनकी है। एसपी यातायात रामानंद कुशवाहा और एएसपी आकाश पटेल को मेरे द्वारा ही किसी भी व्यक्ति को बिना वैध पास के मतगणना स्थल पर जाने से रोकने का दायित्व सौंपा गया था। इसी के क्रम में बिना पास के जाने से रोका गया। इस पूरे प्रकरण में जिम्मेदारी मेरी है।
दरअसल 10 मार्च को मतगणना के दौरान पुलिस ने मतगणना स्थल की 200 मीटर की परिधि में बिना पास धारक लोगों की एंट्री रोकने के लिए बैरियर लगाए हुए थे। दोपहर के वक्त गाजियाबाद के भाजपा महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा, महापौर आशा शर्मा और राज्यसभा सांसद अनिल अग्रवाल भाजपा कार्यकर्ताओं व अपने समर्थकों के साथ पुलिस के बैरियर पर पहुंचे और मतगणना स्थल तक जाने के लिए कहा। पुलिस द्वारा रोकने पर भाजपा नेताओं ने हंगामा कर दिया और धरने पर बैठ गए।
इसके बाद पुलिस भाजपा नेताओं को गोविंदपुरम चौकी ले गई थी और करीब तीन घंटे बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। घटना के विरोध में भाजपा महानगर अध्यक्ष, महापौर और राज्यसभा सांसद ने शुक्रवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर पुलिस अधिकारियों पर भाजपा की जीत न पचा पाने का आरोप लगाया था। उन्होंने एएसपी आकाश पटेल और एसपी ट्रैफिक रामानंद कुशवाहा के खिलाफ कार्रवाई की मांग की और साथ ही इन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए मुख्यमंत्री से मिलने की बात कही थी।
वहीं अब लोनी क्षेत्र से दूसरी बार निर्वाचित हुए भाजपा विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने एसपी देहात (IPS) ईरज राजा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। एसपी पर आरोप है कि उन्होंने एक भाजपा कार्यकर्ता को फोन पर धमकाया और एनकाउंटर करने तक की धमकी दे डाली। विधायक के अनुसार, एसपी देहात ईरज राजा ने 11 मार्च को वॉट्सऐप कॉल करके पार्टी कार्यकर्ता सन्नी कुमार मित्रा (जाटव) को गालियां दी। मुख्यमंत्री व विधायक को अपशब्द कहे और सन्नी को एनकाउंटर करने व फर्जी मुकदमे में फंसाने की धमकी दी।
विधायक के अनुसार, एसपी ने सन्नी से 4 मिनट 29 सेकेंड तक अभद्रता से बातचीत की। विधायक का कहना है कि 10 मार्च को भाजपा सरकार बनने पर सन्नी की ओर से एक बधाई संदेश एसपी देहात के सीयूजी नंबर पर पहुंच गया था। हालांकि सन्नी ने बाद में यह संदेश डिलीट करते हुए माफी मांग ली। आरोप है कि इसके बावजूद एसपी ने सन्नी को वॉट्सऐप कॉल करके हड़काया। विधायक ने गाजियाबाद एसएसपी और एसपी देहात के खिलाफ यूपी के अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी को एक पत्र भेजते हुए कठोर कार्रवाई की मांग की है।
इस मामले में अपर पुलिस अधीक्षक आकाश पटेल ने बताया कि कानून व्यवस्था और प्रोटोकॉल के तहत मतगणना स्थल पर केवल वही लोग जा सकते थे जिनके पास एंट्री पास थे। अगर किसी भी शख्स को अंदर जाने दिया जाता तो माहौल खराब होने की आशंका थी। क्योंकि सरकार और चुनाव आयोग के सख्त निर्देश थे कि मतगणना को सकुशल संपन्न कराना ही मकसद है । मगर जिस तरह आरोप लगा रहे हैं वह सरासर गलत है। उन्हें एक वेंकट हॉल में बैठाने की व्यवस्था की थी और वही इस मामले में अपने कुछ अधिकारियों को भी अवगत कराया गया था। जिससे मतगणना में व्यवधान ना उत्पन्न हो।
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