गाजियाबाद। भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर जिले में शानदार प्रदर्शन करते हुए यहां की पांचों विधानसभा सीटों पर लगातार दूसरी जीत दर्ज की। जिले की पांच विधानसभा सीटों पर उतरे 80.7 फीसदी प्रत्याशी अपनी जमानत भी नहीं बचा सके हैं। साथ ही सपा का 26 और कांग्रेस का 20 साल से जिले में खाता नहीं खुला।
जिले में ऐसा पहली बार हुआ है कि जब किसी पार्टी ने लगातार दो चुनावों में पांचों सीटें अपने नाम की हैं, भाजपा ने 2017 में भी यहाँ क्लीन स्वीप किया था, वहीं इस बार साहिबाबाद विधानसभा सीट से बीजेपी के सुनील शर्मा ने रेकॉर्ड जीत दर्ज की है। उन्होंने 2 लाख 13 हजार 468 मतों से जीत हासिल कर देश में विधानसभा चुनावों में सबसे बड़े अंतर से जीतने का रिकॉर्ड बनाया है। यहां सदर सीट से अतुल गर्ग, लोनी से नंदकिशोर गुर्जर, मोदीनगर से मंजू शिवाच, मुरादनगर से अजीतपाल त्यागी और साहिबाबाद से सुनील शर्मा विजयी रहे। इनमें से चार सीटों पर दूसरे नंबर पर सपा और आरएलडी गठबंधन के प्रत्याशी रहे, जबकि गाजियाबाद सदर क्षेत्र में बीएसपी ने दूसरा स्थान प्राप्त किया। यहां गठबंधन प्रत्याशी विशाल वर्मा चौथे स्थान पर खिसक गए।
जिले की पांचों विधानसभा सीटों पर कुल 52 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे। इसमें से कुल 42 प्रत्याशी अपनी जमानत तक नहीं बचा सके हैं। सबसे ज्यादा गाजियाबाद शहर सीट पर कुल 14 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा, जिसमें से कुल 12 प्रत्याशी अपनी जमानत बचाने में नाकाम साबित हुए हैं। इस सीट पर उपविजेता सपा रालोद गठबंधन के प्रत्याशी विशाल वर्मा ही अपनी जमानत बचा सके हैं।
वहीं, साहिबाबाद सीट पर कुल 11 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे, जिसमें से नौ प्रत्याशी जमानत नहीं बचा सके हैं। यहां गठबंधन प्रत्याशी अमर पाल ही अपनी जमानत बचा पाए है। मुरादनर सीट पर दस प्रत्याशियों में से आठ प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गई है। यहां गठबंधन के सुरेंद्र कुमार मुन्नी की जमान जब्त नहीं हुई है।
जबकि मोदीनगर सीट पर कुल सात प्रत्याशी मैदान में उतरे थे, जिसमें से पांच की जमानत जब्त हो गई है। केवल सुदेश शर्मा ही जमानत बचा पाए हैं। लोनी सीट पर कुल दस प्रत्याशियों ने किस्मत आजमाई थी, जिसमें से आठ प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई है। यहां दूसरे नंबर पर रहे गठबंधन के प्रत्याशी मदन भैया ही जमानत बचाने के लिए जरूरी मत ले पाए हैं।
सपा का 26 और कांग्रेस का 20 साल से जिले में नही खुला खाता
जनपद में बसपा को 2012 के बाद जिले में एक भी सीट पर जीत नहीं मिली। सपा जिले में सिर्फ एक बार मुरादनगर सीट पर जीती है जब पूर्व कैबिनेट मंत्री राजपाल त्यागी ने 1996 में सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था। इसके बाद 2004 में हुए उपचुनाव में पार्टी के प्रत्याशी सुरेंद्र मुन्नी ने चुनाव जीता था। आम चुनाव में 1996 के बाद पार्टी का खाता नहीं खुला।
वहीं कांग्रेस भी 2002 के बाद जिले में जीत का खाता नहीं खोल पाई। 2002 में सुरेंद्र प्रकाश गोयल ने गाजियाबाद सदर सीट पर और राजपाल त्यागी ने मुरादनगर सीट पर कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की थी। इसके बाद कांग्रेस किसी विधानसभा चुनाव में जीत हासिल नहीं कर पाई है। 20 साल से पार्टी को गाजियाबाद में जीत का खाता खुलने का इंतजार है।
बसपा को 2012 के बाद जनता ने नहीं दिया समर्थन
2012 के विधानसभा चुनाव में गाजियाबाद में बसपा का सबसे अच्छा प्रदर्शन रहा था। पांच में लोनी, साहिबाबाद, गाजियाबाद और मुरादनगर की चार सीटों पर बसपा प्रत्याशी जीते थे। 2017 में बसपा का एक भी प्रत्याशी नहीं जीत पाया था। मोदी लहर में लड़े गए इस चुनाव में भाजपा ने सभी सीटें जीतीं थीं। अब 2022 में भी वही परिणाम फिर से दोहराया है। इस बार भी बसपा को एक भी सीट नहीं मिली है। पार्टी के प्रत्याशी दूसरे नंबर पर आकर मुख्य लड़ाई में भी शामिल नहीं हो पाए।
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