गाजियाबाद। जिले के लोनी में ट्रॉनिका सिटी थाना में एक महिला ने पति की टीबी की बीमारी का इलाज नहीं करा पाने पर शनिवार शाम अपने तीन बच्चों के साथ जहर खा लिया। महिला और इकलौते बेटे की मौके पर ही मौत हो गई। जबकि दो बेटियों की दिल्ली के जीटीबी अस्पताल में इलाज के दौरान रविवार सुबह मौत हो गई। परिवार में टीबी की बीमारी से हुदो मौत पहले ही हो चुकी हैं। पुलिस ने शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।
थाना क्षेत्र के गांव ईलायचीपुर की अमन गार्डन कॉलोनी में मोनू, पत्नी मोनिका (30 साल), बेटी मनाली (11 साल), साक्षी (6 साल) और अंश (3 साल) के साथ रहता था। मोनू लोनी क्षेत्र के इंद्रापुरी में मोबाइल रिपेयरिंग की दुकान पर काम करता है। मोनू शनिवार को दुकान पर गए थे। दोपहर करीब तीन बजे पत्नी मोनिका ने तीनों बच्चों को जहर देने के बाद खुद भी जहर खा लिया। करीब डेढ घटे बाद उसकी बेटी मनाली और साक्षी की हालत बिगडने लगी। पड़ोसी महिला ने इनकी हालत बिगड़ने की जानकारी पड़ोस में रह रहे महिला के जेठ सुंदर को दी। इस पर जेठ दोनों बच्चियों को उपचार के लिए दिल्ली के जीटीबी अस्पताल लेकर पहुंचे। जानकारी मिलने पर मोनू भी बेटियों को देखने अस्पताल पहुंच गया। अस्पताल में मनाली ने चिकित्सकों को बताया कि मा ने काली गोलिया खिलाई थी। उसी के बाद हालत बिगड़ गई।
देर शाम पड़ोसी महिला ने मोनू को मोनिका और बेटे की हालत बिगड़ने की जानकारी दी। आनन-फानन में जब वह घर पहुंचा तो दोनों बेसुध मिले। वह उन्हें उपचार के लिए पास के निजी अस्पताल लेकर पहुंचा, जहा चिकित्सक ने दोनों को मृत घोषित कर दिया। उधर, रविवार दोपहर जीटीबी में भर्ती साक्षी और मनाली ने भी दम तोड़ दिया। पुलिस ने चारों की मौत हो जाने की पुष्टि की है। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
घटना के समय मोनू की मा रतन देवी घर पर मौजूद थीं। पुलिस के मुताबिक, वह ठीक से बोल और समझ नहीं पाती है। इसके चलते घर में हुई घटना से वह अनजान बनी रही। पुलिस क्षेत्राधिकारी रजनीश कुमार उपाध्याय ने बताया कि फिलहाल मामले में कोई तहरीर नहीं मिली है। तहरीर आने के बाद जाच कर उचित कार्रवाई की जाएगी।
ससुर और जेठ की टीबी से मौत
करीब ढाई माह पूर्व मोनू को टीबी की बीमारी हो गई थी, जिसे लेकर वह और उसकी पत्नी अक्सर परेशान रहते थे,आर्थिक तंगी भी झेल रहे थे। करीब छह माह पूर्व मोनू के पिता रामसिंह की भी टीबी से ही मौत हो गई थी और जेठ श्याम भी टीबी से मौत का शिकार हो चुके हैं।
बताया जा रहा है मोनिका अपने पति की टीबी की बीमारी को लेकर मानसिक रूप से तनावग्रस्त थी और ससुर व जेठ की मौत के बाद वह पति की भी मौत की आशंका को लेकर भयभीत रहती थी। पति के इलाज व घर में बीमार सास और तीन बच्चों के पालन पोषण का खर्च मोनिका उठा नहीं पा रही थी तथा भारी मानसिक तनाव में थी।
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