देश में तीसरी लहर के दौरान वैक्सीन से बची लोगों की जान, चौथी लहर की आशंकाएं खारिज

नई दिल्ली। ओमिक्रोन के कारण आई कोरोना की तीसरी लहर में वैक्सीन ने लोगों की जान बचाई। बड़े पैमाने पर टीकाकरण के कारण संक्रमितों और मरने वालों की संख्या दुनिया के अन्य देशों की तुलना में कम रही। जिन लोगों की मौत भी हुई, उनमें वैक्सीन नहीं लगाने या एक ही डोज लेने वालों की संख्या ज्यादा रही।

स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने ओमिक्रोन के कारण आई लहर से प्रभावित अन्य देशों के साथ भारत की तुलना करते हुए बताया कि पूरी दुनिया में इसके कारण एक दिन में सर्वाधिक 42,34,712 मामले दर्ज किए गए थे। जो पिछली लहर की पीक 9,04,253 से 4.68 गुना अधिक है।

लव अग्रवाल ने बताया कि जर्मनी में पिछली पीक की तुलना में इस बार 8.86 गुना अधिक मामले दर्ज किये गए। लेकिन भारत में ओमिक्रोन के कारण एक दिन में सर्वाधिक 3,47,254 नए मामले दर्ज किए गए, जो पिछली पीक 4,14,188 से काफी कम है। तीसरी लहर से होने वाली मौतों के मामले में भी भारत की स्थिति दुनिया के अन्य देशों से बेहतर रही है। लव अग्रवाल के अनुसार ओमिक्रोन के कारण दो से आठ फरवरी के सप्ताह में प्रतिदिन औसतन सर्वाधिक 10,787 मौतें हुई और पिछले हफ्ते भी यह संख्या 8,330 रही। वहीं भारत में उसी हफ्ते प्रतिदिन औसतन 615 लोगों की सर्वाधिक मौत दर्ज की गई, जो पिछले हफ्ते गिरकर 144 रह गई।

आइसीएमआर के महानिदेशक डाक्टर बलराम भार्गव ने बताया कि कोरोना से होने वाली मौतों और उनमें टीका लेने वालों की संख्या पर लगातार नजर रखी जा रही है। इससे साफ हुआ है कि वैक्सीन की एक डोज भी मौत रोकने में 98.9 फीसद और दोनों डोज 99.3 फीसद तक कामयाब हैं। लव अग्रवाल ने बताया कि देश में 18 साल से अधिक उम्र के 97 फीसद लोग एक डोज और 76.66 फीसद दोनों डोज ले चुके हैं। इसी तरह से 15 से 18 साल की उम्र के 74 फीसद किशोर एक डोज और 39 फीसद दोनों डोज ले चुके हैं।

नीति आयोग के सदस्य और कोरोना टीकाकरण पर गठित टास्क फोर्स के प्रमुख डाक्टर वीके पाल ने जून में कोरोना की चौथी लहर शुरू होने के आइआइटी कानपुर के दावे को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि कई विशेषज्ञ इस गणितीय गणना से असहमति जता चुके हैं। उनके अनुसार अभी चौथी लहर की भविष्यवाणी करना सही नहीं होगा और इसके लिए और इंतजार करना होगा। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि अभी तक संक्रमण के आंकड़ों के आधार पर चौथी लहर की आशंका बहुत कम नजर आती है।

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