नई दिल्ली। यूक्रेन पर रूस के हमले के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र की 193 सदस्यीय महासभा का आपातकालीन विशेष सत्र आहूत करने पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में हुए मतदान में भारत ने भाग नहीं लिया। हालांकि, नई दिल्ली ने बेलारूस की सीमा पर बातचीत करने के मास्को और कीव के फैसले का स्वागत किया।
यूक्रेन युद्ध को लेकर यूनाइटेड नेशंस ह्यमन रिसोर्स काउंसिल ने तत्काल मीटिंग बुलाने का प्रस्ताव रखा था, जिसमें भारत ने एक बार फिर से तटस्थ रहने का फैसला किया। वहीं, मीटिंग बुलाए जाने के पक्ष में 29 देशों ने वोट किया, जबकि मीटिंग बुलाए जाने के खिलाफ पांच देशों ने वोट डाला, जबकि भारत और चीन समेत 13 देश वोटिंग से गैर हाजिर रहे।
तीन दिनों के अंदर यह दूसरा मौका है, जब भारत ने संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन संकट पर वोटिंग से परहेज किया हो। इससे दो दिन पहले यूक्रेन के खिलाफ रूसी हमले पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एक प्रस्ताव को रूस ने वीटो के जरिए बाधित कर दिया था। उस दिन भी भारत ने चीन और UAE के साथ वोटिंग से परहेज किया था और दोनों पक्षों से बातचीत के जरिए विवाद सुलझाने का आह्वान किया था।
UNSC में भारत ने कहा है कि, वह यूक्रेन में बिगड़ती स्थिति पर काफी चिंतित है और हिंसा को तत्काल समाप्त करने और शत्रुता को समाप्त करने के अपने आह्वान को दोहराता है। भारत ने कहा कि, सभी मतभेदों को केवल ईमानदार, ईमानदार और निरंतर बातचीत के माध्यम से ही खत्म किया जा सकता है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने सोमवार को यूक्रेन पर संयुक्त राष्ट्र महासभा के एक दुर्लभ आपातकालीन विशेष सत्र में कहा कि, नई दिल्ली यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों को तत्काल और तत्काल निकालने के प्रयास करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।
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