वाशिंगटन। रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद दुनिया के ज्यादातर देश इस हमले की आलोचना कर रहे हैं। रूस पर युद्ध रोकने को दबाव डालने के लिए अमेरिका और यूरोपीय देश आर्थिक प्रतिबंध लगाना शुरू कर चुके हैं। अमेरिका समेत अब तक कुल 30 देश रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उनके उच्चाधिकारियों के खिलाफ प्रतिबंध लगाने आगे आ चुके हैं। इन प्रतिबंधों से रूस को आगे आर्थिक और कूटनीतिक तौर पर बड़ा नुकसान होने की संभावना है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंधों का ऐलान कर दिया। उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव पर प्रतिबंधों की घोषणा की। इनपर अमेरिका में ट्रैवल बैन रहेगा। इसके बाद बाइडेन ने रूस के चार बैंकों पर प्रतिबंध लगा दिया है जिसके तहत रूस का तकनीकी आयात बाधित हो सकता है। इससे रूसी अरबपतियों पर असर पड़ेगा। रूस की बड़ी ऊर्ज कंपनी गजप्रोम सहित 12 कंपनियों पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगा दिया। इन प्रतिबंधों से इन कंपनियों को पश्चिम के बाजार से पूंजी जुटाने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। रूस को निर्यात होने वाले रक्षा और एयरोनॉटिक्स उपकरणों पर भी प्रतिबंध लगाया गया। इसके अलावा रूस को मदद करने के कारण बेलारूस कई व्यक्तियों पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।
कौन-कौन से देश लगा चुके हैं राष्ट्रपति पुतिन समेत रूसी नेताओं पर प्रतिबंध?
अमेरिका की ओर से प्रतिबंधों के एलान के बाद अब तक कुल 30 देश पुतिन और रूसी व्यापारियों-रईसों के खिलाफ प्रतिबंध लगा चुके हैं। इनमें यूरोपियन यूनियन (ईयू) के सभी 27 सदस्य देश- ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, साइप्रस, एस्टोनिया, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, आयरलैंड, इटली, लातविया, लिथुआनिया, लक्जमबर्ग, माल्टा, नीदरलैंड, पुर्तगाल, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया, स्पेन, बुल्गारिया, क्रोएशिया, चेक गणराज्य, डेनमार्क, हंगरी, पोलैंड, रोमानिया, स्वीडन शामिल हैं। इसके अलावा ब्रिटेन और कनाडा दो और देश हैं, जिन्होंने रूस और पुतिन पर प्रतिबंध लगाए हैं।
पुतिन और उच्चाधिकारियों पर क्या प्रतिबंध लागू होंगे?
अमेरिका और ईयू की तरफ से जो प्रतिबंध लगाए गए हैं, उनके तहत पुतिन और उनके अफसरों की अमेरिका, ईयू, ब्रिटेन और कनाडा में स्थापित संपत्ति को जब्त कर लिया जाएगा। अमेरिका में तो प्रतिबंधित लिस्ट में शामिल लोगों के सफर करने तक पर भी बैन होगा। गौरतलब है कि पश्चिमी देशों की तरफ से अब तक इस तरह के कदम नहीं लिए गए थे। हालांकि, रूस ने इन प्रतिबंधों के बावजूद कहा है कि उसे पहले ही इन कदमों की उम्मीद थी।
ब्रिटेन ने अंतरराष्ट्रीय भुगतान प्लेटफॉर्म ‘स्विफ्ट’ से हटाने की मांग उठाई
इससे पहले नाटो गठबंधन में शामिल देश के नेताओं के बीच हुई बैठक को संबोधित करते हुए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा था कि उनकी सरकार, शीत युद्ध के बाद की वैश्विक व्यवस्था को पलटने के लिए “खोई हुई जमीन वापस पाने के वास्ते चलाये जा रहे अभियान पर” रूस के नेताओं के विरुद्ध निजी तौर पर पाबंदी लगाएगी। जॉनसन ने रूस को ‘स्विफ्ट’ भुगतान मंच से हटाने के लिए तत्काल कार्रवाई करने का भी आह्वान किया ताकि रूसी सरकार को अधिकतम नुकसान पहुंचाया जा सके।