नई दिल्ली। 15 साल से कम उम्र के जिन बच्चों का रूटीन वैक्सीनेशन हुआ है, उनमें कोरोना के संक्रमण से गंभीर होने की संभावना कम है। दिल्ली के मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज (MAMC) के एक अध्ययन से यह पता चला है।
एमएएमसी के सामुदायिक चिकित्सा विभाग के शोधकर्ताओं ने 2021 में छह महीने में यह स्टडी पूरी की। बच्चों के रूटीन वैक्सीनेशन में ट्यूबरक्लोसिस से बचाव के लिए बैसिलस कैलमेट-गुएरिन (BCG) की एक खुराक, ओरल पोलियो टीके की तीन खुराक, रोटावायरस की तीन खुराक, पेंटा की तीन खुराक डिप्थीरिया, टेटनस के खिलाफ; काली खांसी; हेपेटाइटिस-बी और हीमोफिलस इन्फ्लूएंजा टाइप-बी; आंशिक इंजेक्शन पोलियो वैक्सीन की दो खुराक, और खसरा-रूबेला (एमआर) वैक्सीन की एक खुराक जरूरी है।
141 कोरोना संक्रमित बच्चों पर हुई स्टडी
141 कोविड-पॉजिटिव बच्चे स्टडी का हिस्सा थे। इनमें 88 (62.4%) में हल्के लक्षण, 9 (6.4%) में मध्यम लक्षण और तीन (2.1%) में गंभीर लक्षण थे। बाकी 41 बच्चे एसिंप्टोमेटिक थे। 141 बच्चों में से 114 को सारे टीके लगे हुए थे। 24 बच्चों का आंशिक रूप से टीकाकरण हुआ था। वहीं, तीन को कोई टीका नहीं लगा था।
आंशिक रूप से प्रतिरक्षित बच्चों में सिंप्टोमेटिक इंफेक्शन ज्यादा
अध्ययन में कहा गया है कि आंशिक रूप से प्रतिरक्षित बच्चों में सिंप्टोमेटिक इंफेक्शन पूरी तरह से प्रतिरक्षित बच्चों (75% बनाम 69.7%) की तुलना में अधिक था। आंशिक रूप से प्रतिरक्षित बच्चों में संक्रमण से गंभीरता का खतरा पूरी तरह से प्रतिरक्षित बच्चों (7.0%) की तुलना में अधिक (16.7%) अधिक था। अध्ययन में यह भी बताया गया कि एमआर वैक्सीन लेने वाले बच्चों में गंभीर कोविड संक्रमण की संभावना कम थी।
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