नई दिल्ली। अहमदाबाद बम धमाकों में 38 दोषियों को मौत की सजा और 11 को उम्रकैद की सजा के खिलाफ जमीयत उलमा-ए-हिंद ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने का निर्णय लिया है। उन्होंने विश्वास जताते हुए कहा कि यकीनन हाईकोर्ट से न्याय मिलेगा।
जमीयत के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने विशेष अदालत के फैसले को ‘अविश्वसनीय’ बताया है। इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देने का ऐलान किया है। मौलाना अरशद मदनी दारुल उलूम देवबंद के प्रिंसिपल भी हैं। रिपोर्ट के अनुसार मदनी ने कहा है कि जिनको सजा सुनाई गई है उनकी हाईकोर्ट में परैवी देश के नामी वकील करेंगे। जरूरत पड़ने पर सुप्रीम कोर्ट जाने की भी बात उन्होंने कही है।
शीर्ष अदालतों से मिलता रहा है न्याय
उन्होंने कहा कि इसका एक उदाहरण अक्षरधाम मंदिर पर हमले का है, जिसमें निचली अदालत ने तीन लोगों को फांसी की सजा सुनाई थी और चार लोगों को उम्र कैद की सजा दी गई थी। जबकि गुजरात हाईकोर्ट ने भी निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा था।
जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और वहां हमने अपनी बात रखी तो सुप्रीम कोर्ट ने सभी लोगों को बाइज्जत बरी कर निर्दोष लोगों को झूठे तरीके से बम ब्लास्ट में फंसने की साजिश करने पर गुजरात पुलिस को भी फटकार लगाई थी। मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि बम धमाकों जैसे ज्यादातर गंभीर मामलों में निचली अदालत कठोर फैसले देती है, लेकिन सही मामलो में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से हमेशा न्याय मिलता रहा है।
गौरतलब है कि गुजरात के अहमदाबाद में 2008 में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों के 49 दोषियों को विशेष अदालत ने सजा सुनाई है, जिनमें से 38 को मृत्युदंड दिया गया है, जबकि 11 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। इस मामले में एक बड़ा खुलासा यह भी सामने आया है कि साजिशकर्ताओं के निशाने पर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री व इस समय देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी थे। उन्होंने उनकी हत्या की साजिश भी की थी।
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