कोलकाता। बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के जियागंज स्थित बेनियापुकुर गांव में रहने वाले सौ साल के विश्वनाथ सरकार की भव्य शादी हुई। उनके पोते-पोतियां बराती बने।
विश्वनाथ सरकार और 90 वर्ष की उनकी पत्नी सुरोधवाणी सरकार की शादी में उनके छह लड़के-लड़कियां, 23 पोते-पोतियां और 10 परपोते-पोतियां शामिल हुए।
हुआ यूं कि विश्वनाथ सरकार के पोते-पोतियों ने अपने दादाजी के 100 वें जन्मदिन पर कुछ अलग करने की सोची। इस अवसर पर उन्होंने अपने दादा-दादी की फिर से भव्य शादी कराने की योजना बनाई। पोते-पोतियों ने अपने दादा को दूल्हा और दादी को दुल्हन के रूप में सजाया और बारात लेकर अपनी दादी के गांव (पीहर) बामुनिया गए। वहां बुधवार की शाम दोनों की फिर से वरमाला हुई।
अंत में विश्वनाथ घोड़ा गाड़ी में अपनी पत्नी लेकर अपने गांव बेनियापुकुर लौट आए। उनके पोते पिंटो मंडल ने कहा कि शादी में रीतिरिवाजों के अनुसार हमने दादी को अपने पुश्तैनी घर बामुनिया गांव में भेज दिया था। विश्वनाथ सरकार किसान हैं। वर्ष 1953 उनकी सुरोधवाणी से शादी हुई थी। सौ साल में शादी का किस्सा जिले में चर्चा का विषय बन गया है। लोग खूब मजे लेकर इसकी चर्चे कर रहे हैं।
कोलकाता। बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के जियागंज स्थित बेनियापुकुर गांव में रहने वाले सौ साल के विश्वनाथ सरकार की भव्य शादी हुई। उनके पोते-पोतियां बराती बने।
विश्वनाथ सरकार और 90 वर्ष की उनकी पत्नी सुरोधवाणी सरकार की शादी में उनके छह लड़के-लड़कियां, 23 पोते-पोतियां और 10 परपोते-पोतियां शामिल हुए। विश्वनाथ सरकार किसान हैं। वर्ष 1953 उनकी सुरोधवाणी से शादी हुई थी। हुआ यूं कि विश्वनाथ सरकार के पोते-पोतियों ने अपने दादाजी के 100 वें जन्मदिन पर कुछ अलग करने की सोची। इस अवसर पर उन्होंने अपने दादा-दादी की फिर से भव्य शादी कराने की योजना बनाई। पोते-पोतियों ने अपने दादा को दूल्हा और दादी को दुल्हन के रूप में सजाया और बारात लेकर अपनी दादी के गांव (पीहर ) बामुनिया गए। वहां बुधवार की शाम दोनों की फिर से वरमाला हुई।
अंत में विश्वनाथ घोड़ा गाड़ी में अपनी पत्नी लेकर अपने गांव बेनियापुकुर लौट आए। उनके पोते पिंटो मंडल ने कहा कि शादी में रीतिरिवाजों के अनुसार हमने दादी को अपने पुश्तैनी घर बामुनिया गांव में भेज दिया था।
100 वर्षीय दूल्हे विश्वनाथ ने कहा, “मैंने लगभग 70 साल पहले सुरोधवानी से शादी की थी। बुधवार को मैंने अपने बच्चों और पोते-पोतियों की उपस्थिति में उससे दोबारा शादी की। मेरे बच्चों ने एक भव्य रात्रिभोज की भी व्यवस्था की।” ग्रामीणों के लिए भी दावत थी। वे अनोखी शादी देखने के लिए दर्जनों की संख्या में एकत्रित हुए।
सबसे बड़ी बेटी आरती मंडल ने कहा, “केवल कुछ भाग्यशाली बच्चों को अपने माता-पिता की शादी देखने का मौका मिलता है। वह भी तब जब किसी की उम्र 100 साल हो। मैं आज अपने माता-पिता की नई शादी देखकर बहुत खुश महसूस कर रही हूं।”
सौ साल में शादी का किस्सा जिले में चर्चा का विषय बन गया है। लोग खूब मजे लेकर इसकी चर्चे कर रहे हैं।