बांडुंग। इंडोनेशिया के एक कोर्ट ने 13 नाबालिगों से रेप के आरोपी को दोषी करार दिया। अदालत ने उसे ताउम्र जेल में रहने की सजा सुनाई है। इंडोनेशिया में रेप के दोषियों को दवा के जरिए नपुंसक बनाए जाने की सजा भी दी जा सकती है। हालांकि इस मामले में 36 साल के आरोपी हैरी विरवान को राहत मिल गई। कोर्ट ने कहा- हैरी की हैवानियत की सजा यही है कि वो पूरी उम्र अब जेल में काटे। उसे नपुंसक बनाने की जरूरत नहीं है। हम उसे यह सजा नहीं दे रहे हैं।
मुकदमे के दौरान, यह पता चला कि उसने 5 वर्षों से बच्चों के साथ बलात्कार कर रहा था। कई छात्राएं गरीब परिवारों से आती हैं और छात्रवृत्ति पर स्कूल जा रहे थे। दुर्व्यवहार का मामला तब सामने आया जब एक छात्रा के परिवार ने पिछले साल अपनी किशोरी बेटी के साथ बलात्कार करने और उसे गर्भवती करने के लिए विरावन की पुलिस में शिकायत की।
कोर्ट ने साफ कर दिया कि हैरी को किसी भी सूरत में पैरोल की सुविधा नहीं मिलेगी। आदेश में कहा गया- उसे नपुंसक बनाने या सजा-ए-मौत देने का कोई आधार नहीं है। दोषी को सजा के अलावा विक्टिम्स को करीब 27 लाख रुपए का हर्जाना भी देना होगा। हैरी ने अदालत से माफी की मांग करते हुए कहा- मैं अपने परिवार में कमाने वाला इकलौता आदमी हूं। पत्नी के अलावा तीन बच्चे हैं।
सरकारी वकील ने अदालत से हैरी को सजा-ए-मौत देने की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने सरकारी वकील की दोनों मांगें ठुकरा दीं। हैरी को न तो सजा-ए-मौत दी गई और न ही उसे अब नपुंसक बनाया जाएगा। दोषी एक इस्लामिक बोर्डिंग स्कूल में टीचर था।
पूरे इंडोनेशिया में 25,000 से अधिक इस्लामिक बोर्डिंग स्कूल हैं। जिन्हें “पेसेंटरेन” के रूप में जाना जाता है। जिनमें करीब 5 मिलियन छात्र रहते हैं और छात्रावास में पढ़ते हैं। टिचिंग को अक्सर नियमित किया जाता है। छात्र दिन के दौरान नियमित कक्षाओं में भाग लेते हैं और शाम को कुरान की पढ़ाई और इस्लामी शिक्षाओं को जारी रखते हैं।