गाजियाबाद। पत्रकार राणा अयूब पर एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने समाज कल्याण के लिए जुटाए गए पैसों में धोखाधड़ी की है। जिसके बाद अयूब के 1.77 करोड़ रुपये जब्त किए गए हैं। राणा अयूब के खिलाफ यह मामला गाजियाबाद में दर्ज किया गया था।
गैर सरकारी संगठन हिंदू आईटी सेल के संस्थापक विकास पांडे की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी। 10 सितंबर 2021 को राणा अयूब के खिलाफ पुलिस ने धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के तहत केस दर्ज किया था। राणा अयूब के खिलाफ कोविड-19 के मरीजों और कुछ पूर्वी राज्यों में बाढ़ पीड़ितों के लिए कथित तौर पर चंदा जुटाने के संबंध में धोखाधड़ी और गबन का मामला दर्ज किया है। अयूब पर आईटी कानून के तहत भी मामला दर्ज किया गया था। उन पर कंप्यूटर रिसोर्स का इस्तेमाल कर आपराधिक विश्वासघात और धोखाधड़ी के आरोप था।
ED के नाम जमा किए गए दस्तावेजों के मुताबिक, राणा अयूब ने चैरिटी के लिए ऑनलाइन क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म केट्टो (Ketto) के जरिए 2020 और 2021 में 2.69 करोड़ रुपए जुटाए थे। उस समय उन्होंने कहा था कि पूरी डोनेशन का हिसाब रखा गया है और एक भी पैसे का गलत इस्तेमाल नहीं किया गया है।
ED ने बताया कि केट्टो के जरिए 2,69,44,680 रुपए जुटाए गए थे। इस अमाउंट को उनके पिता और बहन ने अपने अकाउंट में ट्रांसफर किया। इसके बाद पूरे अमाउंट को राणा अयूब के अकाउंट में ही ट्रांसफर कर दिया गया। अयूब ने ED के पास सिर्फ 31 लाख रुपए के खर्च का ब्यौरा दिया। दस्तावेजों की पड़ताल के बाद सामने आया कि फंड में से सिर्फ 17.66 लाख रुपए ही खर्च किए गए हैं।
अयूब ने नकली बिल बनवाए, चैरिटी के पैसों का निजी इस्तेमाल किया
एजेंसी के मुताबिक, राणा अयूब ने राहत कार्यों में पैसा खर्च होने के सबूत देने के लिए फर्जी बिल बनवाए थे। निजी सफर के लिए किए गए खर्च को राहत कार्य के लिए बताया गया था। एजेंसी ने कहा कि जांच में साफ होता है कि राणा अयूब ने पूरी प्लानिंग और व्यवस्थित तरीके से चैरिटी के नाम पर फंड जुटाया था, लेकिन फंड का इस्तेमाल पूरी तरह चैरिटी के लिए नहीं हुआ।
एजेंसी ने बताया कि राणा अयूब ने फंड्स में से 50 लाख रुपए फिक्स्ड डिपॉजिट में जमा कराए और उन्हें राहत कार्य में इस्तेमाल नहीं किया। इसके अलावा उन्होंने PM CARES और CM Relief फंड में कुल 74.50 लाख रुपए जमा किए। प्राथमिकी में उल्लेख किया गया है कि राणा अयूब पेशे से पत्रकार हैं और सरकार से किसी भी प्रकार की अनुमति या रजिस्ट्रेशन के बिना ही वो विदेशी धन प्राप्त कर रही थीं। जबकि, ऐसा करने के लिए विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम 2010 के तहत सरकार की अनुमति या रजिस्ट्रेशन आवश्यक है।
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