बैंगलूर। कर्नाटक के स्कूलों में मुस्लिम लड़कियों के हिजाब पहनने को लेकर जारी विवाद अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुँच चुका है। शांति नोबेल पुरस्कार पाने वाली मलाला यूसुफजई के बाद अब तालिबान की भी एंट्री हो गई है। कट्टरपंथी संगठन तालिबान ने हिजाब पहनने वाली मुस्लिम लड़कियों का समर्थन करते हुए ‘इस्लामी मूल्यों’ की रक्षा के लिए डटकर खड़े रहने के लिए उनकी तारीफ की।
अफगानिस्तान के इस्लामिक अमीरात के उप प्रवक्ता इनामुल्ला समांगनी ने ट्वीट कर लिखा कि ‘भारतीय मुस्लिम लड़कियों का हिजाब के लिए संघर्ष दिखाता है कि हिजाब सिर्फ अरब, ईरान और पाकिस्तान की संस्कृति नहीं है बल्कि इस्लामिक मूल्य है। जिसके लिए दुनिया भर में मुस्लिम लड़कियां विभिन्न तरीकों से बलिदान करती हैं और अपने धार्मिक मूल्य की रक्षा करती हैं।’ इसके साथ ही समांगनी ने कर्नाटक के स्कूल में ‘अल्लाह-हू-अकबर’ के नारे लगाने वाली मुस्लिम लड़की ‘मुस्कान’ की तस्वीर को भी ट्विटर पर शेयर किया।
अफगानिस्तानी महिलाओं ने किया था हिजाब का विरोध
तालिबान ने सत्ता में आते ही महिलाओं के लिए हिजाब पहनना अनिवार्य कर दिया था। वहीं महिलाओं के अधिकार का हनन करते हुए तालिबान ने टीवी शो में महिला कलाकारों को काम करने से रोक दिया है। उन्होंने महिलाओं को हर समय ढंके रहने का आदेश दिया था। जिसके बाद अफगान में कई महिलाओं ने हिजाब रूल का विरोध किया था।
कर्नाटक हिजाब विवाद
कर्नाटक के उडुपी जिले के पीयू कॉलेज में हिजाब का यह मामला सबसे पहले 2 जनवरी 2022 को सामने आया था, जब 6 मुस्लिम छात्राएँ क्लासरूम के भीतर हिजाब पहनने पर अड़ गई थीं। कॉलेज के प्रिंसिपल रूद्र गौड़ा ने कहा था कि छात्राएँ कॉलेज परिसर में हिजाब पहन सकती हैं, लेकिन क्लासरूम में इसकी इजाजत नहीं है। बाद में इसके विरोध में मुस्लिम महिलाओं ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर हिजाब को अपना मौलिक अधिकार बताते हुए कक्षाओं में इस पहनने की छूट माँगी। बहरहाल मामला अभी अदालत में है।
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