अमरावती। आंध्रप्रदेश हाईकोर्ट ने आपत्तिजनक सामग्रियों को हटाने के अपने आदेश की अवहेलना को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर को कड़ी फटकार लगाई है और कारण बताने के लिए कहा है कि इस मुद्दे पर क्यों न उसे बंद कर दिया जाए।
मुख्य न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति एम. सत्यनारायण मूर्ति की पीठ ने सोमवार को कहा कि आदेश के पालन में ट्विटर की निष्क्रियता अदालत की अवमानना के समान है। पीठ ने माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म को यह बताने के लिए कहा कि उसके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई क्यों नहीं शुरू की जाए? अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 7 फरवरी की तारीख निर्धारित की है। अदालत ने ट्विटर को इस तारीख तक इस संबंध में एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया।
इससे पहले सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि सोशल मीडिया मंच अपने प्लेटफार्म से आपत्तिजनक सामग्री हटाने में सहयोग नहीं कर रहा है। इस पर पीठ ने ट्विटर से जानना चाहा कि उनके खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्रवाई क्यों नही शुरू की जाए।
उच्च न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया है कि तकनीकी कारणों का हवाला देकर मामले को दबाया नहीं जाना चाहिए। पीठ ने कहा कि पिछली सुनवाई के दौरान हमने स्पष्ट आदेश दिया था कि आपत्तिजनक सामग्रियां तुरंत हटाई जाएं। ऐसा नहीं करना अदालत की अवमानना के दायरे में आता है। यदि आपको अपनी सेवाएं जारी रखनी हैं तो आपको इस देश के कानून का सम्मान करना होगा, अन्यथा आप अपनी ‘दुकान’ बंद कीजिए।’’
अदालत सत्तारूढ वाईएसआर कांग्रेस के सदस्यों और समर्थकों द्वारा कथित तौर पर न्यायपालिका के खिलाफ विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आपत्तिजनक सामग्री डाले जाने का स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई कर रही है। मामले की जांच सीबीआई कर रही है और इस सिलसिले में कई व्यक्तियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।