कोविड-19 को एस्पिरिन से ठीक किया जा सकता है?

नई दिल्ली। व्हाट्सएप समेत दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर कोविड-19 से जुडी एक खबर वायरल है। इसके मुताबिक सिंगापुर में कोविड-19 से मरने वाले एक शख्स की ऑटोप्सी के बाद चला और पाया गया कि कोरोना वास्तव में बैक्टीरिया है और उसका इलाज एस्पिरिन से हो सकता है। सरकारी न्यूज एजेंसी प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) ने इस खबर को फर्जी बताया है।

वायरल मैसेज में बताया गया है कि सिंगापुर कोविड-19 के शव का परीक्षण करने वाला दुनिया में पहला देश बन गया है। पूरी तरह जांच-पड़ताल के बाद खुलासा हुआ कि वायरस के तौर पर कोविड-19 का वजूद नहीं, बल्कि ये बैक्टीरिया के तौर पर है जो रेडिएशन के संपर्क में आया है और ब्लड क्लॉटिंग से इंसान की मौत का कारण बनता है। दावा किया गया है कि कोविड-19 की बीमारी के इलाज में एस्पिरिन की भूमिका को साबित करने के लिए रिसर्च किया गया है।

खबरों का पोस्टमॉर्टम करने वाली सरकारी न्यूज एजेंसी प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) ने इस खबर को फर्जी बताया है। PIB ने इस दावे को गलत बताते हुए कहा कि कोविड-19 एक वायरस है न कि बैक्टीरिया। इसे एस्पिरिन जैसे एंटीकोआगुलंट्स से ठीक नहीं किया जा सकता है।पीआईबी ने आगाह किया कि इस फर्जी मेसेज से गुमराह न हों। कोरोना वायरस होने की स्थिति में एस्पिरिन का इस्तेमाल बिल्कुल न करें और तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।

इससे पहले, सिंगापुर के स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी कहा था कि पोस्ट में किया जा रहा दावा वैज्ञानिक तौर पर बेबुनियाद है. अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर सिंगापुर के स्वास्थ्य मंत्रालय ने साफ किया, “हम वायरल हो रहे पोस्ट से वाकिफ हैं जिसमें कहा जा रहा है कि सिंगापुर ने कोविड-19 मरीज के शव का परीक्षण किया है, और कथित तौर पर इलाज के प्रोटोकॉल में बदलाव किया है. मैसेज को सिंगापुर के स्वास्थ्य मंत्रालय से जोड़ा गया है. ये सच नहीं है.” उसने आगे बताया कि सिंगापुर कि इस तरह के शव का परीक्षण नहीं किया है.

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