लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी प्रदेश में बड़ा ब्राह्मण दांव चल रही है। इसी के मद्देनजर सपा के नेताओं ने राजधानी लखनऊ में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के किनारे भगवान परशुराम का मंदिर तैयार कराया, मंदिर के सामने 68 फीट का एक फरसा लगाया गया, बीते दो जनवरी को अखिलेश यादव ने मंदिर का लोकार्पण किया था। लेकिन रविवार को तेज हवाओं के कारण फरसा गिरकर क्षतिग्रस्त हो गया।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने समाजवादी विजय रथ यात्रा के 10वें चरण मं दो जनवरी को पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के किनारे महुराकला गांव में भगवान परशुराम के मंदिर का लोकार्पण किया था। यहाँ सुनहरे रंग के मंदिर में भगवान परशुराम की 7.50 क्विंटल की आदमकद कांस्य प्रतिमा लगाई गई। मंदिर के सामने 68 फीट का एक फरसा लगाया गया था जो अब तेज हवाओं के कारण गिरकर क्षतिग्रस्त हो गया।
अखिलेश यादव ने कार्यक्रम में सपा की सरकार बनने पर संस्कृत विद्यालयों का जीर्णोद्धार कराने का भी वादा किया था। इन विद्यालयों में अध्यापक से लेकर अन्य सभी पदों को भरा जाएगा। उनमें वेद पाठ के साथ ही आधुनिक विज्ञान के लिए सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
दरअसल उत्तर प्रदेश में एक नैरेटिव यह भी चलाया जा रहा है कि ब्राह्मण समुदाय के लोग भाजपा की वर्तमान सरकार से नाराज हैं। ऐसे में अखिलेश यादव इस वर्ग को लुभाने की कोशिश करते हुए दिखते हैं। अलग-अलग आंकड़ों में ब्राह्मण समाज की आबादी 9 से 12 फीसदी तक बताई जाती रही है, जो सवर्णों में सबसे ज्यादा संख्या है। ऐसे में सपा इस अहम वर्ग को साधने की कोशिश में है। 2007 में मायावती की सोशल इंजीनियरिंग, 2012 में अखिलेश यादव को मिली सफलता और फिर 2017 में भाजपा के पूर्ण बहुमत में आने के पीछे ब्राह्मण समुदाय की अहम भूमिका बताई जाती रही है।
यही वजह है कि अखिलेश यादव अगड़े वर्ग की इस बिरादरी पर दांव चलना चाहते हैं। यही नहीं ब्राह्मणों को जोड़ने के बहाने वह यह संदेश भी देना चाहते हैं कि समाजवादी पार्टी महज यादव और मुस्लिम वर्ग की ही पार्टी नहीं है। ब्राह्मण समुदाय के माध्यम से अखिलेश यादव पूरे हिंदू समाज को एक संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि उनकी इस कोशिश में भगवान कृष्ण का सुदर्शन चक्र और परशुराम का फरसा कितना फिट बैठते हैं, यह चुनाव के नतीजों से ही पता चलेगा।
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