नगालैंड में 6 महीने के लिए बढ़ाया गया विवादास्पद कानून अफस्पा

कोहिमा। भारी विरोध के बीच नगालैंड में विवादास्पद सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून (AFSPA) ‘अफस्पा’ को छह महीनों के लिए बढ़ा दिया गया है। यह कानून सुरक्षाबलों को व्यापक अधिकार देता है।

नगालैंड में विवादित कानून सशस्त्र बल (विशेष) अधिकार अधिनियम (एएफएसपीए) को छह महीने (30 जून 2022) तक के लिए बढ़ा दिया गया है। गृह मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी है। केंद्र सरकार ने नगालैंड को ‘डिस्टर्ब एरिया’ घोषित किया है। सरकार की तरफ से कहा गया है कि नगालैंड इतनी अशांत, खतरनाक स्थिति में है कि नागरिक प्रशासन की मदद के लिए सशस्त्र बलों का इस्तेमाल आवश्यक है।

हाल ही में नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफियू रियो ने यह जानकारी दी थी गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में 23 दिसंबर 2021 को नई दिल्ली में एक बैठक हुई। जिसके बाद अफस्पा (AFSPA) को वापस लेने पर विचार करने वाली एक समिति गठित करने का निर्णय लिया गया था। इसकी अध्यक्षता गृह मंत्रालय के सचिव स्तर के अफसर विवेक जोशी कर रहे हैं, समिति को 45 दिन में अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी लेकिन इससे पहले ही सरकार ने फैसला ले लिया है।

AFSPA की मियाद को ऐसे समय बढ़ाया गया है जब 4 दिसंबर को उग्रवाद विरोध अभियान के दौरान ‘गलती’ से आम नागरिकों की मौत के मामले में आर्मी कोर्ट ऑफ इंक्वायरी कर रही है। दिसंबर की शुरुआत में नगालैंड के मोन जिले में यह घटना हुई थी। इसमें गलत पहचान के एक कथित मामले में काम से लौट रहे नागरिकों पर हमला किया गया था, इसमें 14 लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद से ही नगालैंड में AFSPA को निरस्त करने की मांग उठ रही थी। केंद्रीय गृह मंत्री मंत्री अमित शाह ने भी घटना पर दुख जताया था और कहा था कि नगालैंड के ओटिंग में एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना से व्यथित हूं। जिन लोगों ने अपनी जान गंवाई है, उनके परिवारों के प्रति मैं अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं। राज्य सरकार द्वारा गठित एक उच्च स्तरीय एसआईटी इस घटना की गहन जांच करेगी ताकि शोक संतप्त परिवारों को न्याय सुनिश्चित किया जा सके।

क्या है अफस्पा?
यह एक कानून है, जो भारतीय सुरक्षा बलों को देश में युद्ध जैसी स्थिति बनने पर अशांत क्षेत्रों में शांति व कानून-व्यवस्था बहान करने के लिए विशेष शक्तियां देता है। इसे 1958 में सशस्त्र बल विशेषाधिकार अध्यादेश के तौर पर पेश किया गया था, बाद में इसी वर्ष संसद ने कानून के तौर पर पारित कर दिया था।

कब होता है लागू?
जब किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश का राज्यपाल केंद्र सरकार को क्षेत्र में शांति व स्थिरता बहाल करने के लिए सेना भेजने की मांग करता है। असल में अफस्पा अधिनियम की धारा तीन के तहत राज्यपालों को यह शक्ति दी गई है कि वे भारत सरकार को राजपत्र पर आधिकारिक अधिसूचना जारी राज्य के असैन्य क्षेत्रों में सशस्त्र बलों को भेजने की सिफारिश कर सकते हैं।

अशांति की घोषणा
राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर जब केंद्र सरकार मान ले कि किसी राज्य में आतंकवाद, हिंसा, अलगाववाद जैसे कारणों से स्थानीय पुलिस व अर्द्धसैनिक बल शांति व स्थिरता बनाए रखने में असमर्थ है, तो उस उस राज्य या क्षेत्र को अशांत क्षेत्र (विशेष न्यायालय) अधिनियम, 1976 के मुताबिक अशांत घोषित कर दिया जाता है। इसके बाद न्यूनतम तीन माह के लिए यथास्थिति बनाए रखनी होगी।

सशस्त्र बलों को मिलती हैं ये शक्तियां
1. संदेह के आधार पर बिना वारंट के तलाशी लेना
2.  खतरा होने पर किसी स्थान को नष्ट करना
3. कानून तोड़ने वाले पर गोली चलाना
4. बिना वारंट के गिरफ्तार करना
5. वाहनों को तलाशी लेना   

कब-कब कहां लागू हुआ?
1958 – मणिपुर और असम
1972 – असम, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और नगालैंड
1983- पंजाब एवं चंडीगढ़
1990- जम्मू-कश्मीर

फिलहाल यहां लागू हैं अफस्पा
पूर्वोत्तर में असम, नगालैंड, मणिपुर (इंफाल नगर परिषद क्षेत्र को छोड़कर), अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग, लोंगडिंग, तिरप जिलों और असम सीमा पर मौजूद आठ पुलिस थाना क्षेत्रों में अफस्पा लागू है।

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