तिरुवनन्तपुरम। टीकाकरण प्रमाणपत्रों से प्रधानमंत्री की तस्वीर को हटाना के मामले पर केरल उच्च न्यायालय ने मंगलवार को सुनवाई करते हुए कहा कि पीएम किसी राजनीतिक दल के नेता नहीं हैं, बल्कि वो देश के नेता हैं। साथ ही अदालत का समय बर्बाद करने के लिए कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि नागरिकों को उनकी तस्वीर(पीएम मोदी) और ‘मनोबल बढ़ाने वाले संदेश’ के साथ टीकाकरण प्रमाण पत्र ले जाने में ‘शर्मिंदा होने की जरूरत नहीं है’। इसी के साथ कोर्ट ने यह याचिका खारिज कर दी। उच्च न्यायालय ने कहा, ‘कोई यह नहीं कह सकता कि एक प्रधानमंत्री कांग्रेस का प्रधानमंत्री या भाजपा का प्रधानमंत्री या किसी राजनीतिक दल का प्रधानमंत्री है। लेकिन एक बार संविधान के अनुसार एक प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद, वह हमारे देश का प्रधानमंत्री होता है और वह पद हर नागरिक का गौरव होना चाहिए।’
कोर्ट ने आगे कहा कि सरकार की नीतियां और यहां तक कि प्रधानमंत्री के राजनीतिक रुख पर भी भिन्न हो सकते हैं। लेकिन नागरिकों को मनोबल बढ़ाने वाले संदेश के साथ प्रधानमंत्री की तस्वीर के साथ टीकाकरण प्रमाण पत्र ले जाने में शर्मिंदा होने की आवश्यकता नहीं है, खासकर इसमें महामारी की स्थिति का जिक्र हो रहा है।
न्यायमूर्ति पी वी कुन्हीकृष्णन ने याचिकाकर्ता पीटर मायलीपरम्पिल को छह सप्ताह के भीतर केरल राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण (केएलएसए) को एक लाख रुपये जमा करने का निर्देश भी दिया है। साथ ही अदालत ने अपने आदेश में कहा कि निर्धारित अवधि के भीतर अगर राशि जमा नहीं कराई गई तो केएलएसए याचिकाकर्ता के खिलाफ राजस्व वसूली की कार्रवाई शुरू करेगी।
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