देहरादून। उत्तराखंड में देहरादून के कैंट क्षेत्र से भाजपा विधायक हरबंस कपूर का निधन हो गया है। कपूर लगातार आठ बार विधायक चुने गए थे। उन्होंने उत्तराखंड विधानसभा के अध्यक्ष पद का भार भी संभाला था। हरबंस कपूर के निधन के शोक में सोमवार को देहरादून जिले के सभी सरकारी कार्यालय बंद हैं। हरबंस कपूर बीजेपी के बेहद सहज और शालीन नेता थे। उनकी जनता में अच्छी पकड़ थी। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने दुख जताया है।
हरबंस कपूर की बेटी ने बताया कि पिछले तीन दिन से कपूर छाती में भारीपन की शिकायत कर रहे थे। छह साल पहले मेदांता अस्पताल में उनकी ओपन हार्ट सर्जरी हुई थी। उनके बेटे अमित कपूर ने बताया है कि आमतौर पर सुबह उनके पिता 5:30 से छह बजे के बीच उठ जाते थे। लेकिन सोमवार की सुबह वह उन्हें उठाने पहुंचे तो उनका शरीर बिल्कुल भी प्रतिक्रिया नहीं दे रहा था। जिसके बाद उनके निधन की जानकारी हुई। दोपहर ढाई बजे दिवंगत विधायक हरबंस कपूर का पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन को भाजपा कार्यालय ले जाया जाएगा। करीब साढ़े तीन बजे अंतिम संस्कार होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा कि उत्तराखंड के हमारे पार्टी के वरिष्ठ सहयोगी हरबंस कपूर के निधन से दुखी हूं। वे एक अनुभवी विधायक और प्रशासक रहे, उन्हें लोक सेवा और समाज कल्याण में उनके योगदान के लिए याद किया जाएगा। उनके परिवार और समर्थकों के प्रति संवेदना।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हरबंस कपूर के देहरादून स्थित आवास पर पहुंचे और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इसस दौरान मुख्यमंत्री ने उनके निधन पर दुख व्यक्त किया और भगवान ने उनकी आत्म की शांति की प्रार्थना की। उन्होंंने भगवान से परिवारजनों को इस दुख की घड़ी में धैर्य प्रदान करने की प्रार्थना भी की।
वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि उत्तराखंड के सीनियर विधायक और स्वाभाव से अजातशत्रु, उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड विधानसभाओं में देहरादून का प्रतिनिधित्व करने वाले हरबंस कपूर को भगवान अपने श्रीचरणों में स्थान दें।
पूर्व सीएम व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने कहा कि विश्वास नहीं होता कि हरबंस कपूर हम लोगों के बीच नहीं रहे। हम यह मानकर चलते थे कि इस बार की भी इनिंग उन्हीं की है।जनता से इतना गहरा उनका संबंध था कि वो दूसरे जनप्रतिनिधियों के लिए ईर्ष्या का विशेष थे कि कैसे इतने लोगों को अपने साथ, इतने लंबे समय तक वो साध करके रख पाए। कभी-कभी उनसे कहता था कि आपको अब एक कॉलेज खोल लेना चाहिए जिसमें यह लिखा जाए ‘how to win election college’ और उसमें आप नेता लोगों को टिप्स दीजिए कि चुनाव कैसे जीते जाते हैं।
पूर्व कांग्रेस विधायक किशोर उपाध्याय ने कहा कि हरबंस कपूर के निधन से उत्तराखंड की राजनीति का एक वट वृक्ष जैसा व्यक्तित्व हमारे बीच नहीं रहा। एक दशक उनके साथ काम करने का अवसर मिला। विधान सभा अध्यक्ष के रूप में उनका मार्ग दर्शन और संयम अनुकरणीय और उदाहरणीय था। 2007-12 की विधान सभा सम्भवतः सबसे अधिक आंदोलित विधान सभा थी। मैं तो विधानसभा के भीतर उपवास पर भी रहा, लेकिन उन्होंने सदैव कोशिश की कि हम समाधान व सुलह का रास्ता निकालें। हरबंस जी का जाना राजनीतिक सज्जनता का अवसान सा लगता है। मैं उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि देता हूं।
हरबंस कपूर ने 1985 में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन वे हीरा सिंह बिष्ट से हार गए। 1989 में हरबंस कपूर जब दोबारा मैदान में उतरे तो उन्होंने हीरा सिंह बिष्ट को हरा दिया।इसके बाद उन्होंने कभी भी हार का मुंह नहीं देखा। 2000 में अलग उत्तराखंड बनने के बाद पहली बार 2002 में हुए विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने जीत का क्रम बरकरार रखा।2017 में भी उन्होंने देहरादून कैंट विधानसभा सीट से जीत दर्ज की थी। वे लगातार आठ बार कैंट विधानसभा सीट से विधायक रहे। 2007 में उन्हें उत्तराखंड विधानसभा का अध्यक्ष भी चुना गया था।
Discussion about this post