नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने वरिष्ठ वकील सौरभ कृपाल को दिल्ली हाईकोर्ट का जज बनाने की सिफारिश की है। इस सिफारिश को मंजूरी मिलती है तो सौरभ कृपाल भारत के पहले समलैंगिक जज बन जाएंगे। कृपाल सार्वजनिक रूप से खुद को समलैंगिक बताते हैं और समलैंगिक मुद्दों को लेकर आवाज बुलंद करते रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में उनके नाम की सिफारिश कर दी है। कॉलेजियम ने एक बयान में कहा कि यह फैसला 11 नवंबर को हुई बैठक में लिया गया। कृपाल समलैंगिक हैं और यदि उनका चयन किया जाता है तो उनका उत्थान समलैंगिक अधिकारों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा। कृपाल उस ऐतिहासिक मामले में दो याचिकाकर्ताओं के वकील थे जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था।
सौरभ कृपाल न्यायमूर्ति बीएन कृपाल के पुत्र हैं, जो मई 2002 से नवंबर 2002 तक भारत के 31 वें मुख्य न्यायाधीश थे। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद, लॉ की पढ़ाई के लिए ऑक्सफोर्ड चले गए। सौरभ कृपाल ने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से कानून में मास्टर की भी डिग्री ली है।
भारत लौटने से पहले, सौरभ कृपाल ने जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र के साथ कुछ समय के लिए काम किया। वह दो दशकों से अधिक समय से भारत में वकील के पेशे में हैं। उनकी विशेषज्ञता के क्षेत्रों में नागरिक, वाणिज्यिक और संवैधानिक कानून शामिल है। सौरभ कृपाल समलैंगिक हैं और एलजीबीटीक्यू (LGBTQ) के अधिकारों के लिए मुखर रहे हैं।
उन्होंने ‘सेक्स एंड द सुप्रीम कोर्ट’ नामक पुस्तक भी लिखी है। उनके पार्टनर निकोलस जर्मेन एक विदेशी नागरिक और स्विस मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं। मार्च 2021 में, सौरभ कृपाल को वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया था। उस समय दिल्ली उच्च न्यायालय के सभी 31 न्यायाधीशों ने सर्वसम्मति से उनके वरिष्ठ पद के पक्ष में मतदान किया था।
सौरभ कृपाल को नवतेज सिंह जोहर बनाम भारत संघ’ के केस को लेकर काफी जाना जाता है। दरसअल वह धारा 377 हटाये जाने को लेकर याचिकाकर्ता के वकील थे। सितंबर 2018 में धारा 377 को लेकर जो कानून था, उसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था।
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