लखनऊ खीरी। यूपी के लखीमपुर खीरी में हिंसा के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह जिसे उचित समझे एसआईटी जांच की निगरानी के लिए नियुक्त कर सकता है। कोर्ट ने निगरानी के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश का नाम तय करने और संबंधित न्यायाधीश से सहमति लेने के लिए सुनवाई बुधवार तक के लिए टाल दी है।
राज्य सरकार की ओर से हरीश साल्वे ने कोर्ट में कहा कि किसी भी हाईकोर्ट के जज, जज ही होते हैं। ऐसे में किसी भी हाईकोर्ट के पूर्व जज को नियुक्त किया जा सकता है। इसपर शीर्ष कोर्ट ने सहमति जताई। कोर्ट ने मंगलवार तक के लिए समय मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले राज्य को एक हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश को नियुक्त करने का निर्देश दिया था और जस्टिस राकेश कुमार जैन, रंजीत सिंह के नाम सुझाए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से जांच के लिए बने विशेष पैनल को अपग्रेड करने को कहा, क्योंकि अधिकांश अधिकारी लखीमपुर खीरी से ही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से ऐसे आईपीएस अधिकारियों के नाम मांगे हैं जिन्हें जांच के लिए बनी एसआईटी में शामिल किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ये आईपीएस अधिकारी उत्तर प्रदेश कैडर के हो सकते हैं लेकिन राज्य के बाशिंदे न हों।
बता दें कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी के तिकुनिया इलाके में पिछले महीने तीन अक्टूबर को हिंसा के दौरान चार किसान, एक पत्रकार समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी। बहराइच जिले के नानपारा निवासी जगजीत सिंह की तहरीर पर आशीष मिश्र समेत 20 अज्ञात लोगों के खिलाफ बलवा, हत्या के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया था। इस मामले में 13 आरोपित जेल में हैं। दूसरे पक्ष से सभासद सुमित जायसवाल की तहरीर पर 20-25 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था, जिसमें चार आरोपित जेल में हैं।
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