जकार्ता। इंडोनेशिया की इस्लामिक संस्था ने क्रिप्टो करेंसी को लेकर फतवा जारी किया है। इंडोनेशिया की उलेमा काउंसिल की तरफ से कहा गया है कि क्रिप्टो करेंसी का इस्तेमाल करना इस्लाम में हराम है। हालांकि इस्लामिक संस्था की तरफ से यह भी कहा गया है कि इसके तहत डिजिटल संपत्ति की ट्रेडिंग की अनुमति दी जा सकती है।
इंडोनेशिया में दुनिया के सबसे ज्यादा मुस्लिम रहते हैं। गुरुवार को राष्ट्रीय उलेमा परिषद या एमयूआई की तरफ से कहा गया कि क्रिप्टो को करेंसी की तरह इस्तेमाल करने पर पाबंदी लगाई जाती है। लेकिन इसमें निवेश और डिजिटल टोकन की ट्रेडिंग कमोटिडी में की जा सकती है। उन्होंने कहा कि यदि एक वस्तु या डिजिटल संपत्ति के रूप में क्रिप्टोकरेंसी शरिया सिद्धांतों का पालन कर सकती है और साफ फायदा दिखा सकती है, तो इसका कारोबार किया जा सकता है।
इस्लामिक संस्था ने इसे जुआ बताया है क्योंकि यह इस्लाम के नियमों से ताल्लुक नहीं रखता। हालांकि, संस्था ने क्रिप्टो करेंसी की ट्रेडिंग की अनुमति फिलहाल दी है जिसमें संपत्ति का पता हो और मुनाफे के बारे में जानकारी दी गई हो।
हालांकि एमयूआई के निर्णय का मतलब यह नहीं है कि इंडोनेशिया में सभी क्रिप्टोकरेंसी व्यापार बंद कर दिया जाएगा। इस फैसले से मुसलमानों को संपत्ति में निवेश करने पर रोक लग सकती है और स्थानीय संस्थानों को क्रिप्टो संपत्ति जारी करने पर पुनर्विचार कर सकती है। बैंक इंडोनेशिया एक केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा पर विचार कर रहा है हालांकि अभी तक इस बारे किसी फैसले की घोषणी नहीं की गई है।
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