देहरादून। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच केदारनाथ धाम के दौरे पर हैं। तीन साल बाद एक बार फिर से केदारनाथ धाम पहुंचे पीएम नरेंद्र मोदी ने जय बाबा केदार के उद्घोष से अपने भाषण की शुरुआत की। आदिगुरु शंकराचार्य की प्रतिमा के अनावरण और बाबा केदारनाथ की पूजा अर्चना के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज देश के हर कोने में इस पवित्र माहौल के साथ लोग जुड़े हुए हैं। इससे पहले पीएम ने आदि गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण किया, साथ ही 2013 की प्राकृतिक आपदा में क्षतिग्रस्त हुए शंकराचार्य के समाधि स्थल का लोकार्पण भी किया। केदारनाथ में आदि गुरु शंकराचार्य की इस प्रतिमा का निर्माण 2019 में शुरू हुआ था। यह प्रतिमा 12 फुट ऊंची और 35 टन वजनी है।
प्रधानमंत्री मोदी ने ‘जय बाबा केदार’ के जयकारों के साथ अपना संबोधन शुरू किया। उन्होंने कहा कि यह भारत की संस्कृति की व्यापकता का आलौकिक दृश्य है। उन्होंने देश के सभी साधु-संतों को प्रणाम किया। उन्होंने कहा कि भारत की महान ऋषि परंपरा है। मैं यहां जब भी आता हूं कण-कण से जुड़ जाता हूं। दीपावली के मौके पर मैं सैनिकों के साथ था और आज तो मैं सैनिकों की ही धरती पर हूं। उन्होंने कहा कि गाेवर्धन पूजा के दिन मुझे केदारनाथ दर्शन का सौभाग्य मिला है। बाबा केदारनाथ के दर्शन के साथ ही मैंने आदि शंकराचार्य की समाधि पर कुछ पल मैंने बिताए। वह मेरे लिए एक दिव्य अनुभूति का था। वहां बैठते ही लग रहा था कि आदि शंकराचार्य की आंखों से वह प्रकाश पुंज प्रवाहित हो रहा है, जो भव्य भारत का विश्वास जगा रहा है। शंकराचार्य की समाधि एक बार फिर और अधिक दिव्य स्वरूप के साथ हम सबके बीच है। इसके साथ ही सरस्वती तट पर घाट का निर्माण भी हो चुका है।
2013 की आपदा केदारनाथ आपदा को याद कर प्रधानमंत्री मोदी भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि बरसों पहले जो नुकसान यहां हुआ था, वो अकल्पनीय था। जो लोग यहां आते थे, वो सोचते थे कि क्या ये हमारा केदार धाम फिर से उठ खड़ा होगा? लेकिन मेरे भीतर की आवाज कह रही थी कि ये पहले से अधिक आन-बान-शान के साथ खड़ा होगा। मैंने जो पुनर्निर्माण का सपना देखा था वो आज पूरा हो रहा है। जो कि सौभाग्य की बात है।
इस दौरान प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की तारीफ की। केदारनाथ धाम पुनर्निर्माण कार्य करने वाले श्रमिकोंं का भी धन्यवाद किया। बर्फबारी और कड़ी ठंड के बीच उनके काम की सराहना की। इस दौरान उन्होंने पुजारियों और रावल का भी आभार व्यक्त किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले कहा जाता था कि पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी कभी पहाड़ के काम नहीं आती, मगर राज्य सरकार जो नए काम कर रही है उससे पलायन रुकेगा और युवाओं को रोजगार मिलेगा। उत्तराखंड ने कोरोना की लड़ाई में जिस तरह का अनुशासन दिखाया वह सराहनीय है। उत्तराखंड ने आज पात्र लाभार्थियों को 100 फीसदी सिंगल डोज लगाने का लक्ष्य हासिल किया है, यह आसान काम नहीं है। उत्तराखंड ने अपने एक-एक नागरिक की जिंदगी बचाई है।
आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का किया अनावरण
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आदि शंकराचार्य की 12 फीट ऊंची और 35 टन वजनी प्रतिमा का अनावरण किया। इस दौरान उन्होंने वहां बैठकर मानस पूजा की। ये प्रतिमा कर्नाटक के मैसूर में में तैयार की गई। कृष्ण शिला से निर्मित इस प्रतिमा को पिछले दिनों पहले गौचर और इसके बाद वायुसेना के हेलीकाप्टर की मदद से केदारनाथ पहुंचाया गया था।
पीएम मोदी ने इन योजनाओं का किया लोकार्पण और शिलान्यास
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आदि शंकराचार्य की मूर्ति के अनावरण समेत करीब 320 करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया। पीएम मोदी ने जिन योजनाओं का शिलान्यास किया उनमें आदि शंकराचार्य की समाधि, सरस्वती नदी पर घाट निर्माण, तीर्थ पुरोहितों के आवास, मंदाकिनी नदी पर सुरक्षा दीवार और गरुड़ चट्टी पैदल मार्ग पर पुल का निर्माण शामिल हैं।
कौन थे आदि शंकराचार्य
शंकराचार्य को चार मठों की स्थापना करने के लिए जाना जाता है। वैशाख मास के शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि को उनकी जयंती मनायी जाती है। केरल में जन्मे आदि शंकराचार्य ईसा पूर्व 8वीं शताब्दी के भारतीय आध्यात्मिक धर्म गुरू थे। उस दौरान भिन्न-भिन्न मतों में बंटे हिंदू धर्मों को जोड़ने का काम उन्होंने किया। उन्होंने अद्वैत वेदांत के सिद्धांत को समेकित किया और पूरे भारत में चार मठ की स्थापना की।
चार दिशाओं में की चार मठों की स्थापना
हिंदू धर्म को एकजुट करने में उनका महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है। उनके द्वारा स्थापित चार मठों में रामेश्वरम में श्रृंगेरी मठ, उड़ीसा के पुरी में गोवर्धन मठ, गुजरात के द्वारका में शारदा मठ, उत्तराखंड में ज्योतिर मठ है। बता दें कि ये चारों मठ भारत की चार दिशाओं में स्थित है। कहा जाता है कि इन मठों की स्थापना करने के पीछे आदि शंकराचार्य का उद्देश्य समस्त भारत के एक धागे में पिरोना था।
आदि शंकराचार्य की प्रतिमा
केदारनाथ में 2013 में आये जल प्रलय के बाद आदि शंकराचार्य की मूर्ति को फिर से स्थापित किया गया है। यह मूर्ति मंदिर के पीछे स्थापित है। जहां शंकराचार्य ने अपनी समाधि ली थी। वहीं इस मूर्ति के निर्माण के लिए लगभग 130 टन एक ही शिला का चयन किया गया था। मूर्ति को तराशने के बाद इसका वजन लगभग 35 टन रह गया है। इस प्रतिमा की सतह को चमकदार बनाने के लिए नारियल पानी का खूब इस्तेमाल किया गया है। जिससे आदि शंकरचार्य की मूर्ति से “तेज” का आभास हो सके। मूर्ति निर्माण कार्य में 9 लोगों की टीम ने काम किया। सितंबर 2020 में इसका काम शुरू हुआ था और तकरीबन एक साल तक अनवरत चलता रहा।
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