गाजियाबाद। वन विभाग के अपर मुख्य सचिव ने शासन आदेश जारी कर औद्योगिक इकाइयों में वृक्षारोपण के लिए मियावाकी पद्धति को अपनाना अनिवार्य कर दिया है। इस पद्धति के लिए उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) द्वारा मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) विकसित की गई है। जापान के वनस्पति वैज्ञानिक डॉ. अकीरा मियावाकी ने इस पद्धति की खोज की, जिसके चलते लोग इसे मियावाकी पद्धति के नाम से जानते हैं। यह पद्धति वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के में काफी प्रभावी है।
इस पद्धति से विकसित बागानों में वायु प्रदूषण को अवशोषित करने की क्षमता करीब 10 गुना अधिक होती है। साथ ही ये बागान 10 गुना अधिक तेजी से बढ़ते हैं और 30 गुना अधिक सघन होते हैं। साथ ही ये 100 प्रतिशत जैव विविधतापूर्ण और प्राकृतिक होते हैं। सघनता की वज़ह से ये पौधे सूर्य की रोशनी को धरती पर आने से रोकते हैं, जिससे धरती पर खरपतवार नहीं उग पाता है। तीन वर्षों के पश्चात् इन पौधों को देखभाल की आवश्यकता नहीं होती है। इस तकनीकि के तहत वृक्षारोपण करने के लिए पिछले करीब एक साल में प्रदेश सरकार ने लखनऊ, आगरा, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी और गाजियाबाद में 19 हेक्टेयर से अधिक भूमि कवर की है।
बता दें कि इस तकनीक के तहत सबसे पहले मिट्टी की जाँच, फिर उस मिट्टी में उगने वाले पौधों के बारे में जानकारी जुटाई जाती है। इसी क्रम में संबंधित बीज से पौधे उगाए जाते हैं। अगले क्रम में तीन फुट गहरा गड्ढा खोदकर उसमें खाद डालते हैं। अब पौधों को नर्सरी से निकालकर जमीन में लगाया जाता है। शुरूआती तीन साल इन पौधों की देखभाल जरूरी होती है। उद्योगों के लिए यूपीपीसीबी द्वारा जारी जल एवं वायु सहमति प्रमाण पत्र के लिए इसका अनुपालन अनिवार्य शर्त के रूप में है। अनुपाल न होने की स्थिति में सहमति प्रमाण पत्र रद्द किया जा सकता है।
इन्होने यह कहा,
जनपद में दिन प्रतिदिन बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए औद्योगिक इकाइयों में भी वृक्षारोपण बहुत आवश्यक हो गया है। ऐसे में वृक्षारोपण की अद्यतन पद्धति मियावाकी को अपनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा निर्देशित किया गया है। इस पद्धति के वृक्ष कम समय से तेजी से विकसित होकर अधिक मात्रा में वायु प्रदूषण सोखते हैं। जनपद में वायु प्रदूषण के स्तर कम करने में औद्योगिक इकाइयों का भी योगदान काफी मायने रखता है। सभी औद्योगिक इकाइयों से अपील है कि अपनी क्षमता के अनुसार इस पद्धति का उपयोग अवश्य करें। (बीरेन्द्र कुमार, संयुक्त आयुक्त, जिला उद्योग केन्द्र, गाजियाबाद)
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